कई सांसद व पूर्व सीएम तक नहीं चाहते थे कि देवघर में बने एम्स

देवघर : जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने भाषण में कहा था कि वे चाहते हैं कि प्रत्येक राज्य में एक एम्स बनायें. उनके इस प्रस्ताव का सांसदों ने समर्थन किया था और तभी जून 2014 में गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने संताल परगना जैसे पिछड़े इलाके में एम्स मांगा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2018 6:15 AM
देवघर : जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने भाषण में कहा था कि वे चाहते हैं कि प्रत्येक राज्य में एक एम्स बनायें. उनके इस प्रस्ताव का सांसदों ने समर्थन किया था और तभी जून 2014 में गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने संताल परगना जैसे पिछड़े इलाके में एम्स मांगा. इसके लिए उन्होंने देवघर को उपयुक्त बताया. तब झारखंड में यूपीए की सरकार थी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन थे.
हेमंत सोरेन चाहते थे दुमका में बने एम्स : जब एम्स का प्रस्ताव केंद्र की ओर से मांगा गया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने अधिकारियों को दुमका में स्थल चयन का निर्देश दिया. उस वक्त पर्यटन मंत्री देवघर के तत्कालीन विधायक सुरेश पासवान ने भी दुमका में एम्स खुले, इसकी वकालत की थी.
लेकिन सांसद अडिग रहे. तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने देवघर में एम्स के लिए जमीन तलाशने का निर्देश दिया. तभी उस वक्त के डीसी ने देवीपुर में जमीन उपलब्ध होने की बात से सरकार को अवगत कराया. इससे नाराज तत्कालीन हेमंत सरकार ने मुख्य सचिव श्री चक्रवर्ती को हटा दिया. कुछ दिनों के लिए सुधीर प्रसाद चार्ज में रहे. तत्कालीन सरकार ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
मुख्यमंत्री बनते ही रघुवर दास ने पहली फाइल एम्स की साइन की : दिसंबर 2014 में जब झारखंड में भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री रघुवर दास बने. उस वक्त मुख्यमंत्री से सांसद ने मांगा कि आप बाबाधाम को एम्स दे दीजिये. उन्होंने कहा था कि पहली फाइल वे एम्स की ही साइन करेंगे. वादे के मुताबिक मुख्यमंत्री रघुवर ने पहली फाइल देवघर में एम्स की साइन की और केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया.
2015 में 14 सांसदों ने किया था विरोध :
जब सरकार का प्रस्ताव केंद्र को गया तो झारखंड के 14 सांसदों(लोकसभा/राज्यसभा) ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि देवघर में एम्स नहीं रांची में एम्स बने. सांसदों ने देवघर में एम्स का विरोध किया फिर भी मुख्यमंत्री अडिग रहे. तब सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा की याचिका समिति के समक्ष देवघर में एम्स क्यों जरूरी है और कैसे यह इलाका एम्ह के लिए उपयुक्त है, पूरी बात मजबूती के साथ रखी. कई बार लोकसभा में मामला उठा. तब याचिका समिति ने देवघर एम्स को हरी झंडी दी.
पीएमओ ने लगातार की मॉनिटरिंग
देवघर में एम्स की स्थापना को लेकर सांसद डॉ निशिकांत दुबे लगातार पत्राचार कर रहे थे, इस कारण एम्स को लेकर पीएमओ काफी गंभीर रहा और लगातार मॉनिटरिंग की. पीएमओ के नृपेंद्र मिश्रा, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पीके मिश्रा आदि ने काफी मदद की.
एयरपोर्ट के कारण एम्स को मिला बल
एम्स की स्थापना को लेकर एक बड़ा अवरोध एयरपोर्ट था. लेकिन देवघर में एयरपोर्ट निर्माण में रक्षा मंत्रालय ने फंड दिया. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर देवघर आये और दौरे के बाद उन्होंने देवघर एयरपोर्ट के लिए डिफेंस से 300 करोड़ देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इस तरह एम्स के लिए जो अंतिम बाधा एयरपोर्ट की थी, वह भी दूर हो गयी.

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