जिला परिषद व एनआरइपी में नहीं होता ऑनलाइन टेंडर

देवघर : डिजिटल इंडिया के दौर में हरेक सरकारी कार्यालय को पेपरलेस किया जा रहा है. राज्य सरकार ने सभी विभाग को टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन करने का संयुुक्त निर्देश जारी किया है. देवघर में जिला परिषद व एनआरइपी को छोड़ सभी तकनीकी विभाग ने टेंडर प्रणाली को ऑनलाइन कर दिया है. जबकि जिला परिषद व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2018 6:51 AM
देवघर : डिजिटल इंडिया के दौर में हरेक सरकारी कार्यालय को पेपरलेस किया जा रहा है. राज्य सरकार ने सभी विभाग को टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन करने का संयुुक्त निर्देश जारी किया है. देवघर में जिला परिषद व एनआरइपी को छोड़ सभी तकनीकी विभाग ने टेंडर प्रणाली को ऑनलाइन कर दिया है.
जबकि जिला परिषद व एनआरइपी में अब भी टेंडर मैनुअल तरीके से चल रहा है. इन दोनों विभाग को विभागीय आदेश की परवाह नहीं है. जिला परिषद व एनआरइपी में पुल, पुलिया, भवन, रोड जैसे कार्यों में टेंडर डालने से लेकर निष्पादन तक का काम मैनुअल चल रहा है. ऑनलाइन टेंडर नहीं होने से करोड़ों रुपये ठेका आवंटन में पारदर्शिता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. शिकायतें आने पर कई बार डीसी को टेंडर निष्पादन करने के कमेटी का गठन करना पड़ता.
करोड़ों के टेंडर में चला पैरवी व मैनेज का खेल !
पिछले दिनों जिला परिषद में करीब 10 करोड़ रुपये से प्रखंडस्तरीय स्टेडियम व हरिलाजोड़ी मंदिर का विकास समेत अन्य कार्य का टेंडर मैनुअल निष्पादित हुआ. वहीं एनआरइपी में भी चार करोड़ रुपये से नैयाडीह में सड़क, भवन समेत अन्य कार्य का टेंडर भी मैनुअल किया गया. ठेकेदारों ने हाथोंहाथ कार्यालय में दस्तावेज जमा किये. टेंडर ऑनलाइन नहीं होने से दोनों विभागों में ठेका आवंटन में गोपनीयता भंग हुई तथा जमकर पैरवी व ठेका मैनेज करने का खेल चला. पैरवीकारों ने अपने चहेतों को ठेका दिलाने में खूब भूमिका निभायी. अगर टेंडर डालने की ऑनलाइन व्यवस्था रहती, तो इसमें गोपनीयता बनी रहती व दस्तावेजों में हेरफेर की संभावनाएं कम रहती. मैनुअल तरीके में विभाग से लेकर ठेकेदारों में मैनेज की संभावना प्रबल बनी रहती है.

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