चाचा ने भी अस्पताल में तोड़ा दम

करौं : थाना क्षेत्र के कजियाटांड़ में आग से झुलसे दीपक रवानी (30 वर्ष) की इलाज के दौरान मंगलवार को बोकारो अस्पताल में मौत हो गयी. दीपक की मौत से ठीक तीन दिन पहले ही हादसे में जख्मी उसके भतीजे गोलू ने भी दम तोड़ दिया था. बुधवार को शव गांव पहुंचते ही मातम पसर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2018 7:00 AM
करौं : थाना क्षेत्र के कजियाटांड़ में आग से झुलसे दीपक रवानी (30 वर्ष) की इलाज के दौरान मंगलवार को बोकारो अस्पताल में मौत हो गयी. दीपक की मौत से ठीक तीन दिन पहले ही हादसे में जख्मी उसके भतीजे गोलू ने भी दम तोड़ दिया था. बुधवार को शव गांव पहुंचते ही मातम पसर गया. एक जुलाई को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से मधुपुर में दीपक को नि:शुल्क गैस कनेक्शन मिला था.
ऐसे हुआ हादसा
दीपक अपने घर में गैस सिलिंडर व चूल्हा सेट कर पत्नी को चाय बनाने के लिए बता कर घर से बाहर चला गया. पत्नी ने गैस जलाने का काफी प्रयास किया गया. लेकिन, गैस चूल्हा नहीं जला सही. इसी बीच दीपक वहां पहुंचा व चूल्हा जलाने का प्रयास किया. गैस चूल्हा तो नहीं जला लेकिन, सिलिंडर से गैस रिसने के कारण पूरे घर में आग फैल गया. इस बीच दीपक का सात वर्षीय भतीजा गोलू भी कमरे में आ गया था. जैसे ही माचिस से गैस जलाने का प्रयास किया तो पूरे घर में आग लग गयी.
आग की चपेट में दीपक, उसकी पत्नी राधिका व उसका भतीजा गोलू झुलस गया. आनन-फानन में लोगों ने देवघर स्थित निजी क्लिनिक में तीनों को भर्ती कराया. जहां दीपक की पत्नी राधिका देवी इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दिया. जबकि गोलू व दीपक को बेहतर इलाज के लिए बोकारो भेज दिया गया. जहां बोकारो में इलाज के दौरान 13 जुलाई को गोलू की मौत हो गयी. फिर 17 जुलाई को चाचा दीपक की भी मौत हो गयी. घटना से गांव में गम का माहौल व्याप्त हो गया है.
  • घर में गैस-चूल्हा सेट कर दीपक ने पत्नी से कहा था चाय बनाने
  • पत्नी नहीं जला पायी चूल्हा, लौटने पर दीपक ने भी कोशिश
  • सिलिंडर से गैस रिसाव के बाद घर में लग गयी थी आग
  • हादसे में झुलस गये थे दीपक, पत्नी राधिका व भतीजा गोलू
  • गंभीर हालत देख दीपक व भतीजे गोलू को बोकारो किया गया था रेफर
  • 13 जुलाई को गोलू ने तोड़ा दम, मंगलवार को दीपक ने ली अंतिम सांस
अस्पताल प्रबंधन ने मांगा "1.80 लाख बकाया, श्रम मंत्री के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को मिला शव
चाचा-भतीजे की इलाज के दौरान अस्पताल का बकाया 1.80 लाख रुपये हो गया था. दीपक की मौत के बाद प्रबंधन ने पहले बकाया मांगा, फिर शव सुपुर्द करने की बात कही. इसके बाद परिजन परेशान हो गये. इसकी खबर मिलते ही श्रम मंत्री राज पलिवार ने अस्पताल प्रबंधन से बात की व हस्तक्षेप करते हुए शव को परिजनों को दिलवाया.

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