काले हीरे के धंधे में मिलीभगत का खेल, हर महीने पांच सौ टन कोयला तस्करी
सारठ : शाम ढलते ही चितरा कोलियरी से रोजाना कोयला चोरी का जो काला धंधा शुरू होता है वह सुबह के सूरज उगने से पहले ही थमता है. फिर सुबह से लेकर शाम तक साइकिल व बाइक से कोयला ले जाने का धंधा दिनभर विभिन्न पुलिस थानों से गुजरते हुए डिपो व माफिया तक पहुंचता […]
सारठ : शाम ढलते ही चितरा कोलियरी से रोजाना कोयला चोरी का जो काला धंधा शुरू होता है वह सुबह के सूरज उगने से पहले ही थमता है. फिर सुबह से लेकर शाम तक साइकिल व बाइक से कोयला ले जाने का धंधा दिनभर विभिन्न पुलिस थानों से गुजरते हुए डिपो व माफिया तक पहुंचता है.
कोलियरी प्रबंधन के कुछ लोगों, कुछ खाकी वर्दी व माफिया की मिलीभगत से हर दिन कोयले का लाखों का काला धंधा धड़ल्ले से रहा है. इसमें कुछ स्थानीय छुटभैया नेताओं की भी अहम भूमिका होती है. हर शाम लगभग एक हजार से अधिक कोयला चोर सीआइएसएफ व स्थानीय पुलिस की मदद से बेधड़क खदान में प्रवेश करते हैं. फिर कोयला काटकर निकालते हैं.
निकाले गये कोयले को चितरा थाना क्षेत्र के हरिराखा, बांझीकेन, चितरा का बावरी टोला,जमनीटांड़, तुलसीडाबर, वीरमाटी व पालाेजोरी थाना क्षेत्र के सिमलगढ़ा व बिंदापाथर थाना क्षेत्र के सोरेन पाड़ा क्षेत्र में कोयला जमा कर साइकिल व बाइक से चितरा से जामताड़ा, सारठ व पालोजोरी के रास्ते बाहर किया जाता है.
चितरा से कोयला निकलने के लिए थाना की ओर से अधिकृत व्यक्ति को प्रति साइकिल व बाइक 100 से 150 रुपये अदायगी करना पड़ता है. जिस रास्ते से होकर कोयला पास होता है. आश्चर्य की बात यह है कि कोयला चोरी व तस्करी कर सीआइएसएफ समेत विभिन्न थानों की पुलिस की नजरों के सामने से गुजर जाता है पर कोई कार्रवाई नही ंहोती.
हर दिन एक हजार साइकिल से चार-पांच क्विंटल कोयला तस्करी
आंकड़ों पर ही गौर करें तो हर दिन बाइक व साइकिल से तकरीबन चार से पांच क्विंटल कोयला तस्करी होती है. इस प्रकार लगभग चार हजार क्विंटल रोजाना कोयला खदानों से गायब होकर माफिया तक पहुंच रहे हैं. साइडिंग ले जाने वाले डंपर व बड़े वाहनों से भी चालकों की मिलीभगत से रास्ते में ओवरलोडेड कोयला उतारा जाता है. जिसे साइकिल से डिपो तक पहुंचाया जाता है. हर दिन चार सौ टन के हिसाब से लगभग 20 लाख की कोयला चोरी होती है. इस तरह लगभग साढ़े पांच-छह करोड़ का कोयला हर महीने मिलीभगत से चोरी हो रहे हैं.