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सूखते खेत से किसान हताश

सरवां : शारदीय नवरात्र आरंभ होते ही दो दिन प्रखंड क्षेत्र में हल्की बारिश के कारण किसानों ने खुशी से दशहरा तो मना लिया, लेकिन सूखते खेतों के लिये ये पानी नाकाफी रहा. दशहरा मेले में बाल बच्चों के साथ व्यस्त रहे. इसके बाद खेत की और गये तो उनकी धान की फसल पूर्व की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2018 8:15 AM
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सरवां : शारदीय नवरात्र आरंभ होते ही दो दिन प्रखंड क्षेत्र में हल्की बारिश के कारण किसानों ने खुशी से दशहरा तो मना लिया, लेकिन सूखते खेतों के लिये ये पानी नाकाफी रहा. दशहरा मेले में बाल बच्चों के साथ व्यस्त रहे. इसके बाद खेत की और गये तो उनकी धान की फसल पूर्व की हालत में हो गयी थी. उन लोगों के दशहरा का नशा खेत देखते ही काफुर हो गये.
तालाब जोरिया, नदी सूखे पड़े हैं ऐसे में कैसे बचायें धान को. लोगों ने कुछ फसल बचाने के लिये डोभा का सहारा लेना आरंभ अहले सुबह से कर दिया. इसके बाद डोभा में बड़ी संख्या में किसानों ने भी पंपिंग सेट लगा दिया, जिससे डोभा का पानी समाप्त हो गया. अब हताशा में किसान डोभा में पानी के श्रोत का इंतजार कर रहे हैं.
स्थिति ये हो गयी है कि परिवार के साथ अब डोभा की भी पहरेदारी की जाने लगी. प्रशासन से मांग करते हुए किसान दिलीप सिंह, गुड्डू सिंह, बासकी मंडल, मदन राय, व्यास रवानी, सीताराम यादव, सुरेश यादव, कामदेव महतो,जयदेव राउत, किशन महतो, विनोद वर्मा, दिवाकर वर्मा, जयकांत वर्मा, भीखन राउत, नंदलाल वर्मा, महिपाल वर्मा, हलधर वर्मा आदि ने जोरिया व तालाब में जेसीबी मशीन लगा कर अगर पानी के श्रोत पर डोभा दो तीन दिन के अंदर बनवा दिया जाये, तो खेतों की जान बच सकती है.
पटवन कर फसल बचाने के लिये किसान कर रहे मशक्कत
देवीपुर . सिंचाई सुविधा से वंचित देवीपुर के किसान भगवान इन्द्र की कृपा दृष्टि पर खेती करने का काम करते हैं. दूसरी ओर इस वर्ष अच्छी बारिश नहीं होने से किसानों के मेहनत पर पानी फिर गया है ओर लोग रोजगार की तलाश में दूसरे शहर की ओर पलायन को मजबूर हो रहे हैं. हालांकि कुछ किसानों ने अपनी धान की फसल को बचाने के लिये पटवन कर रहे हैं, ताकि धान का फसल बच सके.
किसानों की खेती सुलभ हो इसके लिये मनरेगा, भूमि संरक्षण आदि विभाग से सैंकडों तालाब की खुदाई की गई. लेकिन भारी वर्षा के अभाव में लगभग सभी तालाब सूख चुके हैं. जानकारी हो कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खासकर खेती पर निर्भर रहते हैं. वे प्रत्येक वर्ष धान के अलावा गेहूं, आलू, सब्जी आदि की खेती करते हैं. परन्तु सिंचाई के अभाव में प्रखंड क्षेत्र के किसान खेती छोड़ने को मजबूर हैं.

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