देवघर : खरीफ के बाद अब रबी फसल पर भी आफत

सूखे की मार ने किसानों को कहीं का न छोड़ा, खेतों में नहीं है पानी देवघर : पानी के अभाव में इस बार खरीफ की खेती तो पूरी तरह प्रभावित हो गयी. देवघर जिले में 90 फीसदी धान की फसलें सूख गयी है. अब पानी के अभाव में रबी फसल भी प्रभावित होने लगी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2018 10:05 AM
सूखे की मार ने किसानों को कहीं का न छोड़ा, खेतों में नहीं है पानी
देवघर : पानी के अभाव में इस बार खरीफ की खेती तो पूरी तरह प्रभावित हो गयी. देवघर जिले में 90 फीसदी धान की फसलें सूख गयी है. अब पानी के अभाव में रबी फसल भी प्रभावित होने लगी है. पानी की व्यवस्था नहीं रहने से रबी में गेहूं, चना, सरसों व आलू की खेती कई जगह समय पर चालू नहीं हो पायी है.
धान की उपज नहीं होने से किसानों की पूंजी पूरी तरह डूब चुकी है. रबी में खेती करने के लिए अधिकांश किसानों की कमर टूट चुकी है. बारिश कम होने की वजह से पानी स्टोर नहीं हो पाया है. अधिकांश तालाब, कुआं, नदी व जोरिया में पानी नहीं है, ऐसी स्थिति में रबी फसलों की बुआई में सिंचाई कैसे होगी यह बड़ी चुनौती है.
सिंचाई के अभाव में तेलहन-दलहन की खेती में लेटलतीफी हो रही है. पिछले दिनों जिला प्रशासन ने देवघर जिले को सुखाड़ घोषित करने की अनुशंसा कर दी थी, इसके तहत आपदा प्रबंधन से चार हजार रुपये प्रति एकड़ के दर से किसानों को मुआवजा राशि देने की योजना है, लेकिन अब तक मुआवजा राशि मुहैया कराने की घोषणा सरकार के स्तर से नहीं की गयी है.
बीमा का पैसा नहीं मिला तो बढ़ेगा कर्ज : जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत धान की फसलों का बीमा कराया है, उन्हें रबी फसल की खेती शुरू करने से पहले बीमा की राशि नहीं मिली तो किसानों को कर्ज लेकर रबी फसल की खेती करनी पड़ेगी.
किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जायेगा. बीमा कंपनी द्वारा बीमा राशि के भुगतान से संबंधित कोई घोषणा नहीं गयी है. किसानों की उम्मीदें बीमा कंपनी पर ही बंधी हुई है.
बीज का वितरण भी चालू नहीं : जिन स्थानों में पानी स्रोत है, वहां रबी फसल में गेहूं, चना, मसूर व सरसों की खेती शुरू करने के लिए सरकार से अनुदानित बीज का वितरण किसानों के बीच शुरू नहीं हुआ है. नोडल पैक्सों के माध्यम से पैक्सों तक गेहूं व चना का बीज नहीं पहुंचा है, जिससे किसानों 50 फीसदी अनुदान पर बीज की खरीदारी कर पाये. कृषि वैज्ञानिक डाॅ पीके सिंह के अनुसार अगर समय पर गेहूं व चना की बुआई चालू नहीं की गयी तो उपज भी घट जायेगा.
जहां पानी है, वहां सिंचाई के साधन नहीं
बारिश का पानी जिन तालाबों व कुंआ में स्टोर है व कुछ जोरिया में जलस्रोत बरकरार है, वहां से पानी खेतों तक पहुंचाना कठिन है. सिंचाई का संसाधन उपलब्ध नहीं रहने के कारण सिंचाई करना किसानों के लिए मुश्किल है. सरकार से अनुदान पर दिये जाने वाले पंपसेट सीमित मात्रा में मनरेगा के लाभुकों को ही देने का प्रावधान है. ऐसी परिस्थिति में अनुदानित पंपसेट व डीजल अनुदान नहीं मिलने से रबी फसल में पानी का स्रोत रहते ही किसान सिंचाई नहीं कर पायेंगे.

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