देवघर : अनियमितता. ऑडिटर ने सौंपी रिपोर्ट, वित्तीय गड़बड़ी की आशंका, पांच पैक्सों का वर्षों से नहीं हुआ ऑडिट

देवघर : गड़बड़ियों को लेकर चर्चा में रहने वाला सहकारिता विभाग के अधीन अधिकांश पैक्सों में लेखा-जोखा नियमित नहीं होताहै. जिले के पांच पैक्सों में विभागीय ऑडिट पांच वर्षों से नहीं हुआ है. सहकारिता विभाग के ऑडिटर संजय कुमार सिन्हा ने सहायक निबंधक को रिपोर्ट भेज दी है. इसमें देवीपुर प्रखंड के झुंडी, पालोजोरी प्रखंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2019 6:50 AM

देवघर : गड़बड़ियों को लेकर चर्चा में रहने वाला सहकारिता विभाग के अधीन अधिकांश पैक्सों में लेखा-जोखा नियमित नहीं होताहै. जिले के पांच पैक्सों में विभागीय ऑडिट पांच वर्षों से नहीं हुआ है. सहकारिता विभाग के ऑडिटर संजय कुमार सिन्हा ने सहायक निबंधक को रिपोर्ट भेज दी है.

इसमें देवीपुर प्रखंड के झुंडी, पालोजोरी प्रखंड जीवनबांध, मधुपुर प्रखंड के जाभागुड़ी, मोहनपुर प्रखंड के रढ़िया व चकरमा पैक्स हैं. जिन पैक्सों में पिछले पांच वर्षों से ऑडिट नहीं हुआ है. इन पैक्सों में वित्तीय गड़बड़ी की संभावना बढ़ गयी है.

पैक्सों में खादी-बीज की बिक्री, फसल बीमा, धान खरीद समे जमा वृद्धि योजना का कार्य होता है, ऑडिटर के अनुसार आॅडिट नहीं होने से लेखा-जोखा अपडेट का पता नहीं चल पा रहा है कि पैक्सों के लाभ हानि की वास्तविक स्थिति क्या है. विभाग की राशि पैक्सों के बैंक खाते में कितनी पड़ी हुई है, यह पता नहीं चल पा रहा है. इससे पहले देवघर में 19 पैक्सों में वित्तीय गड़बड़ को लेकर एफआइआर तक दर्ज हो चुकी है.
बैंक खाता संचालन पर लग सकती है रोक
सहकारिता विभाग के मापदंड के अनुसार जिन पैक्सों अध्यक्षों ने अपने-अपने पैक्सों का ऑडिट नियमित नहीं कराया है. ऑडिटर के रिपोर्ट पर संबंधित पैक्स अध्यक्ष के सहकारिता बैंक में संचालित हो रही बैंक खाता पर रोक लगायी जा सकती है. ऑडिट में वित्तीय गड़बड़ियां मिलने पर पैक्स अध्यक्ष की शक्तियों को वापस लेकर प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है. साथ ही एफआइआर तक दर्ज हो सकती है.
पांच पैक्सों में वित्तीय वर्ष 2013-14 के बाद से ऑडिट नहीं हुआ है. ऑडिट नहीं कराने वाले पैक्सों की रिपोर्ट एआर को भेज दी गयी है. पैक्स का नियमित ऑडिट नहीं कराने पर वित्तीय गडबड़ियां हो सकती है, ऐसी स्थिति संबंधित पैक्स अध्यक्ष के बैंक खाता के संचालन पर भी विभाग से रोक लग सकती है.
– संजय कुमार सिन्हा, ऑडिटर, सहकारिता विभाग, देवघर

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