देवघर : पुनासी डैम के महज पांच फीसदी पानी से देवघर शहर की बुझेगी प्यास

देवघर : पुनासी डैम से देवघर शहर को पाइप के जरिये जलापूर्ति करने का प्रस्ताव पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने तैयार किया है. पीएचइडी ने 250 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है. जल संसाधन विभाग के अभियंताओं के अनुसार पुनासी डैम पूरी तरह तैयार होने के बाद इसमें 131 मिलियन क्यूबिक मीटर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2019 7:39 AM

देवघर : पुनासी डैम से देवघर शहर को पाइप के जरिये जलापूर्ति करने का प्रस्ताव पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने तैयार किया है. पीएचइडी ने 250 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है. जल संसाधन विभाग के अभियंताओं के अनुसार पुनासी डैम पूरी तरह तैयार होने के बाद इसमें 131 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी स्टोर रहेगा.

देवघर शहर की आबादी की आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक वर्ष शहरवासियों को केवल तीन एमसीएम पानी प्रत्येक वर्ष दिया जाये, तो पर्याप्त पानी हो जायेगा. लेकिन देवघर में श्रावणी मेला के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर पानी की अधिक खपत होती है, ऐसी परिस्थिति में विभाग ने चार एमसीएम पानी की खपत का आकलन अधिक किया है.

कुल सात एमसीएम पानी यानि पुनासी डैम से महज पांच फीसदी पानी शहर को प्रति वर्ष दिया जाये तो देवघर शहर की प्यास बूझती रहेगी. जल संसाधन विभाग ने कुल 14 एमसीएम पानी आपूर्ति करने का प्रस्ताव तैयार रखा है, इसमें शहरी जलापूर्ति योजना व इंडस्ट्रियल के लिए जलापूर्ति है.

एम्स को प्रतिदिन 20 लाख लीटर पानी मिलेगा
केंद्रीय टीम ने एम्स के लिए प्रतिदिन 20 लाख लीटर पानी की आवश्यकता बतायी थी, जिला प्रशासन व जल संसाधन विभाग ने पुनासी डैम से पानी मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया था. पुनासी डैम से देवीपुर एम्स को प्रतिदिन 20 लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जायेगी. इसके लिए जल संसाधन विभाग पूरी तरह तैयार है.
35 वर्ष बाद मिला था फॉरेस्ट क्लीयरेंस
देवघर . पुनासी जलाशय योजना में स्पील-वे का काम फोरेस्ट क्लीयरेंस की वजह से 35 वर्षों तक अटका था. स्पील-वे का हिस्सा वन भूमि पर पड़ने की वजह केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने काम स्पील-वे के काम पर रोक लगा दिया. साथ ही वन भूमि पर पड़ने वाले नहर का भी काम रुक गया.
सांसद डॉ निशिकांत दुबे के पीआइएल पर रांची हाइकोर्ट द्वारा पुनासी परियोजना की लगातार समीक्षा के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 2017 में 35 वर्ष बाद स्पील-वे के स्टेज-टू का फोरेस्ट क्लीयरेंस दिया, जिसके बाद स्पील-वे के काम में तेजी आयी है. विभाग की टीम एक वर्ष के अदंर स्पील-वे को भी पूरा करने का तैयारी में है, जिसके बाद नहर में पानी छोड़ा जायेगा.

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