डेढ़ साल से जंजीर में जकड़ी है बालक कामेश की जिंदगी

पैसे के अभाव ने नहीं करा पाया समुचित इलाज सोनारायठाढ़ी : सोनारायठाढ़ी के 15 वर्षीय कामेश की जिंदगी पिछले डेढ़ साल से जंजीर में जकड़ी है. पैसे के अभाव में मनोरोगी बेटे का मां सुनीमा देवी उचित इलाज नहीं करा पा रही है. बेटे के पैर में बेड़ी देख फफकते हुए मनोरोगी कामेश की मां […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2019 2:24 AM

पैसे के अभाव ने नहीं करा पाया समुचित इलाज

सोनारायठाढ़ी : सोनारायठाढ़ी के 15 वर्षीय कामेश की जिंदगी पिछले डेढ़ साल से जंजीर में जकड़ी है. पैसे के अभाव में मनोरोगी बेटे का मां सुनीमा देवी उचित इलाज नहीं करा पा रही है. बेटे के पैर में बेड़ी देख फफकते हुए मनोरोगी कामेश की मां ने बताया कि दो साल पहले उसके बेटे की तबीयत बिगड़ गयी थी. इसके बाद वह उलूल-जुलूल बातें और असामान्य व्यवहार करने लगा. जिसके बाद परिजनों से पैसे लेकर कांके स्थित मनोरोगी अस्पताल में इलाज कराने ले गये. कुछ दिन तक दवाइयां चली. चिकित्सक ने पुन: इलाज के लिए बुलाये थे.

मगर पैसे के अभाव में इलाज कराने नहीं जा पायी. सब जगह से जब मदद नहीं मिल सकी तो लाचार पिता पैसे की जुगाड़ में कमाने हैदराबाद चले गये. बताया कि कामेश जब भी किसी बच्चे को बैग लेकर स्कूल जाते देखता है तो वह भी स्कूल जाने के लिए बच्चों के पीछे दौड़ने लगता है. जिसे लेकर घर वालों ने उसके पैर में लोहे की जंजीर डाल दी है. जिससे मासूम कामेश के पैरों में छाले भी पड़ गये हैं. बताया कि मेहनत मजदूरी कर किसी तरह से पेट चलता है, ऐसे में मनोरोगी बेटे का इलाज कहां से करा पायेंगे.

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