देवघर : अपने संतान के इलाज को लेकर एक मां अब सिस्टम के आगे बेबस हो गयी है. खुद को कमरे में कैद किये मनोरोगी संतोष को लगभग डेढ़ माह बाद मां मनाेरमा देवी के प्रयास के बाद प्रभात खबर की पहल से छुड़ा कर किसी तरह 108 एंबुलेंस से रिनपास भेजा गया. लेकिन, रिनपास में भी मां सिस्टम के आगे हार गयी. वहां पर उसे भर्ती नहीं लिया गया. अंत में 108 एंबुलेंस वालों ने उसे देवघर लाकर छोड़ दिया. वह यहां की सड़कों पर दिन भर घूमता रहा.
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सिस्टम के आगे बेबस हुई मनोरमां
देवघर : अपने संतान के इलाज को लेकर एक मां अब सिस्टम के आगे बेबस हो गयी है. खुद को कमरे में कैद किये मनोरोगी संतोष को लगभग डेढ़ माह बाद मां मनाेरमा देवी के प्रयास के बाद प्रभात खबर की पहल से छुड़ा कर किसी तरह 108 एंबुलेंस से रिनपास भेजा गया. लेकिन, रिनपास […]
संतोष का हाथ पीछे से बंधा रहा. मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण संतोष आक्रामक होकर लोगों की तरफ दौड़ जाता था. अपनी मां मनोरमा को देखने के बाद संतोष काफी गुस्से में आ जा रहा है. मां मनोरमा दौड़ी-दौड़ी नगर थाना आयी और मदद मांगी. पुलिस उसकी मदद के लिये निकली. लेकिन देर रात झौंसागढ़ी के राजेश खवाड़े नामक युवक ने उसे पुलिस की मदद से सदर अस्पताल पहुंचाया व निजी स्तर से खाने की व्यवस्था की.
मां ने बतायी अपनी पीड़ा
मनोरमा ने बताया कि रिनपास में कहा गया कि भर्ती करने के लिये माता-पिता का साथ होना जरूरी है. वहीं उसके सिर में लगा जख्म भी ठीक करना होगा, तभी भर्ती किया जा सकता है. ऐसे में अब मनोरमा के सामने बड़ी समस्या बन गयी. मनोरमा के पति नहीं हैं. देवघर आने पर उसे ट्रेकर स्टैंड के पास इंजेक्शन भी लगवायी.
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