अमरनाथ पोद्दार
देवघर : तकनीक आधारित खेती कैसे किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक हो सकती है, इसका उदाहरण है मोहनपुर का गौरांग ऑर्गेनिक फॉर्म. बाबानगरी की धरती पर सेब की खेती की शुरुआत हुई है. शहर से पांच किलोमीटर दूर मोहनपुर प्रखंड के बेलाटिल्हा गांव में पहली बार गौरांग ऑर्गेनिक फॉर्म में सात एकड़ जमीन पर सेब की खेती की जा रही है.
फसल बुआई के बाद पहली गरमी के बाद भी सुरक्षित है पौधे : छह माह पहले लगाये गये सेब के पौधे तीन से चार फीट तक लंबे हो गये हैं. संचालक ने बताया कि ऑर्गेनिक फॉर्म में आस्ट्रेलियन बीड के कुल 180 पौधे मंगवाये गये हैं. सभी पौधों को कोलकाता के आराम बाग से मंगवाये गये. सेब की खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक व तकनीकी आधारित की जा रही है.
गोबर व गोमूत्र का इस्तेमाल : गाय के गोबर का खाद व गोमूत्र को कीटनाशक के छिड़काव के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. इस वजह से छह माह के दौरान केवल तीन पौधे ही नष्ट हुए हैं. अगले तीन वर्षों से पेड़ों में फल आने की संभावना है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से सेब के पौधों की सिंचाई इजराइल की तर्ज पर डिप इरिगेशन सिस्टम से हो रही है.
26 डिग्री तापमान के लिए पेड़ों के बगल में लगाये गये आम के पौधे : गौरांग ऑर्गेनिक फॉर्म के संचालक विकास कुमार बताते हैं कि भारतीय प्रजाति के सेब की खेती के लिए 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता अनिवार्य रहती है, लेकिन बेलाटिल्हा में आस्ट्रेलियन बीड की पौधों को 26 डिग्री तापमान की जरूरत है. सालों भर 26 डिग्री तापमान पहुंचाने के लिए सेब के किनारे आम के पौधे लगाये गये हैं, ताकि धूप सीधे सेब के पौधों पर नहीं पड़े. आम के पौधे सेब के पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाती है. 12 फीट की दूरी पर एक पौधे लगाये गये हैं.
किसानों का वैकल्पिक खेती पर जोर
पहली बार आस्ट्रेलियन बीड के लगाये गये 180 पौधे, सभी सुरक्षित
इजराइल की तर्ज पर डिप इरिगेशन सिस्टम से हो रही सिंचाई