रोजाना 18 टन हो रही कोयला तस्करी महीने में 45 लाख का हो रहा अवैध धंधा
रोजाना दो से तीन पिकअप वान कोयला भेजा जाता है पश्चिम बंगाल व बिहार साइकिल व बाइक वालों से कोयला खरीदकर जमा किया जाता है डिपो में देवघर : पालोजोरी थाना क्षेत्र के बाघमारा गांव में कई महीने से कोयले का अवैध डिपो चल रहा है. उक्त डिपो से रोजाना दो से तीन पिकअप वान […]
रोजाना दो से तीन पिकअप वान कोयला भेजा जाता है पश्चिम बंगाल व बिहार
साइकिल व बाइक वालों से कोयला खरीदकर जमा किया जाता है डिपो में
देवघर : पालोजोरी थाना क्षेत्र के बाघमारा गांव में कई महीने से कोयले का अवैध डिपो चल रहा है. उक्त डिपो से रोजाना दो से तीन पिकअप वान कोयला दुमका जिले के जामा के पश्चिम बंगाल व बिहार भेजा जा रहा है. इस अवैध कारोबार के पीछे दुमका व आसनसोल के कारोबारियों का नाम आ रहा है, जिसमें स्थानीय थाने सहित पुलिस प्रशासन का सहयोग प्राप्त है.
इसके लिये स्थानीय थाने के अलावे रास्ते में पड़ने वाले थानों को बंधी-बंधाई मासिक खर्च देकर मैनेज किया जाता है. ऐसे में पुलिस को जानकारी रहने के बावजूद भी कोयले का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. डिपो में कोयला लोकल स्तर पर चलने वाले साइकिल व बाइक वालों से खरीद कर जमा किया जाता है.
गांव के एक सुनसान जगह को इस अवैध कारोबार के लिये सुरक्षित तौर पर चुना गया है, जो चारो तरफ पेड़-पौधे व झाड़ियों से घिरा हुआ है. जहां डिपो संचालित है, उक्त् स्थान को बांस से घेराबंदी कर रखा गया है. हमेशा वहां कारोबारी के दो-चार लोग जमा रहते हैं. एक युवक बाइक पर बैठकर दिनभर निगरानी करता है और दुसरे साइकिल व बाइक से कोयला ढ़ोने वाले को लाकर वजन कराता है और डिपो में जमा रखवाता है. कोयला वजन कराने के लिये स्थायी तौर पर वहां एक इलेक्ट्रोनिक कांटा भी लगाकर रखा गया है.
कोयला कारोबार करने वाले एक्सपर्ट की मानें तो इस अवैध डिपो से रोजाना रात में दो से तीन पिकअप वान कोयला पश्चिम बंगाल व बिहार जाता है. एक पिकअप वान में कम से कम छह टन कोयला लोड होता है. ऐसे में उक्त अवैध डिपो से प्रतिदिन 18 टन कोयला बिना कागजात के बाहर भेजा जा रहा है.
चितरा कोलियरी के एक्सपर्ट की मानें तो एक टन कोयले की कीमत वर्तमान में 9000 रुपये है. इस तरह एक पिकअप वान काेयले की कीमत करीब 54000 रुपये आंकी गयी है. एक रात में निकलने वाले तीन पिकअप वान कोयले की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये से ऊपर होगी. इस तरह पूरे महीने भर इस अवैध डिपो से निकलने वाले कोयले की कीमत करीब 45 लाख रुपये से अधिक होगी, जो सरकार के राजस्व को चूना लग रहा है.