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शिखर पर लगे पंचशूल, सजी बाबानगरी निकलेगी भव्य बारात, पहुंचे हजारों भक्त

देवघर : आज महाशिवरात्रि है यानी शिव के आराधना का सबसे बड़ा दिन. इसको लेकर द्वादश ज्योतिर्लिंग में महत्वपूर्ण बाबा बैद्यनाथ की नगरी में चहुंओर उत्साह है. हर तरफ ऊं नम: शिवाय गुंजायमान है. देशभर में सबसे अनूठी व आकर्षक शिव बारात देवघर में निकलती है. विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के बाद देवघर की शिव-बारात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2020 3:13 AM

देवघर : आज महाशिवरात्रि है यानी शिव के आराधना का सबसे बड़ा दिन. इसको लेकर द्वादश ज्योतिर्लिंग में महत्वपूर्ण बाबा बैद्यनाथ की नगरी में चहुंओर उत्साह है. हर तरफ ऊं नम: शिवाय गुंजायमान है. देशभर में सबसे अनूठी व आकर्षक शिव बारात देवघर में निकलती है. विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के बाद देवघर की शिव-बारात प्रसिद्धि लगातार बढ़ रही है.

रंग-बिरंगी रोशनियों और आकृतियों से सजा देवघर शहर शिव-बारात के स्वागत को आतूर है. इस पल का गवाह बनने के लिए देशभर के कोने-कोने से हजारों की संख्या में शिवभक्त पहुंच चुके हैं. मौसम में थोड़ी शीतलता के बाद भी भक्तों में अजीब सी गरमाहट है. जय शिव के जयघोष भक्तों में ऊर्जा प्रदान कर रहा है.
प्राण-प्रतिष्ठा कर विधि विधान से स्थापित हुआ पंचशूल : देवघर में महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की चतुष्प्रहार पूजा होती है. यह पूजा रात 10 बजे से अहले सुबह तीन बजे तक चलेगी. महाशिवरात्रि को लेकर बाबा मंदिर समेत अन्य मंदिरों की भव्य सजावट की गयी है. महाशिवरात्रि पर बाबा मंदिर में शिव-विवाह से पहले सभी रस्म पूरे विधि-विधान से निभायी जा रही है. गुरुवार को बाबा मंदिर परिसर के मंदिरों से उतारे गये पंचशूलों की विशेष पूजा हुई.
पूजा का शुभारंभ सुबह लगभग साढ़े आठ बजे सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबानंद ओझा, आचार्य गुलाब पंडित व उपचारक भक्तिनाथ फलाहारी ने किया. पूजा के बाद परंपरागत तरीके से मंदिरों के शिखर पर चढ़ाया गया. इसके बाद ही प्रधान पुजारी ने गंठबंधन कराया.
26 साल पहले शुरू हुई थी शिव बारात की परंपरा
देवघर के पहले मेयर राजनारायण खवाड़े के नेतृत्व में हर साल भव्य शिव-बारात का आयोजन होता है. इसकी शुरुआत वर्ष 1994 में हुई थी. हर साल शिव बारात के आकार व भव्यता में वृद्धि हो रही है. इस बार शिव बारात का मुख्य आकर्षण कचड़ा-कच्च दैत्य होगा. इसके अलावा शिव बारात में 40 देवगण के साथ 106 भूत-पिशाच, बैंड-बाजा, हाथी-घोड़ा सभी शामिल होंगे.

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