देवघर : जसीडीह बाजार में नो पार्किंग से 16 टोटो-ऑटो जब्त
किसी भी वाहन की खरीदारी के समय उस वाहन का निबंधन डीलर प्वाइंट पर ही होना है. वाहन खरीदने वाले को निबंधन कराने के लिए डीटीओ ऑफिस जाने की आवश्यकता नहीं है. वाहन बेचने के बाद 15 दिनों के अंदर शो-रूम को वाहन विक्रेता को ऑनर बुक उपलब्ध करा देना है.
देवघर : जसीडीह पुलिस ने बाजार के नो पार्किंग क्षेत्र में विशेष अभियान चलाकर 13 टोटो व तीन ऑटो जब्त किया और थाने ले गयी. इसकी जांच के लिए यातायात विभाग को सूचना दी गयी है. कई दिनों से जसीडीह बाजार के नो पार्किंग जोन में टोटो व ऑटो चालकों द्वारा मनमाने तरीके से प्रवेश कर सवारी बैठाया जा रहा था. इस कारण बाजार में जाम की स्थिति बन जाती थी. गुरुवार को इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी सत्येंद्र प्रसाद के नेतृत्व में अभियान चलाकर कार्रवाई की गयी. बता दें कि, पहले भी कई बार चालकों को चेतावनी देकर वाहनों को छोड़ दिया गया था. इसके बावजूद वाहन चालकों की मनमानी जारी थी. अचानक वाहन चेकिंग से चालकों में हड़कंप मचा हुआ था. अभियान में एसआइ रामबचन सिंह, एएसआइ अजीत कुमार तिवारी सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी व पुलिस जवान मौजूद थे.
अनुदान पर मिले ट्रैक्टर का 10 वर्ष बाद भी नहीं हुआ निबंधन, शोरूम के खिलाफ लिखा पत्र
किसी भी वाहन की खरीदारी के समय उस वाहन का निबंधन डीलर प्वाइंट पर ही होना है. वाहन खरीदने वाले को निबंधन कराने के लिए डीटीओ ऑफिस जाने की आवश्यकता नहीं है. वाहन बेचने के बाद 15 दिनों के अंदर शो-रूम को वाहन विक्रेता को ऑनर बुक उपलब्ध करा देना है. साथ ही वाहन बेचने के साथ ही उसका निबंधन करा देना है. निबंधन होते ही वाहन खरीदार के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर निबंधन संख्या भी प्राप्त हो जायेगा. अगर डीलर निबंधन नहीं करते हैं, तो उनके शो-रूम का ट्रेड लाइसेंस रद्द हो सकता है. बावजूद शो-रूम वाले भोले-भाले किसानों को गुमराह कर लोन आदि के चक्कर में निबंधन करते ही नहीं हैं. ऐसा ही मामला गुरुवार को डीटीओ कार्यालय में आया. भूमि संरक्षण विभाग ने एक ट्रैक्टर शो-रूम के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए डीटीओ को लिखित आवेदन दिया है. जिक्र कर कहा है कि वर्ष 2013-14 में देवघर के पालाजोरी प्रखंड के पिपरा गांव निवासी बबीता देवी को विभाग से अनुदानित दर पर ट्रैक्टर उपलब्ध कराया गया था. इतने समय बीत जाने के बावजूद आजतक शो-रूम के द्वारा किसान के ट्रैक्टर का निबंधन नहीं किया गया है. हर बार विभाग में प्रतिवेदन भेजने के दौरान उक्त ट्रैक्टर का इंजन नंबर व चेचिस नंबर भेजना पड़ रहा है. वहीं निबंधन नहीं होने के कारण परिवहन विभाग को राजस्व को भी क्षति हो रही है. प्राप्त आवेदन के आलोक में डीटीओ ने जांच के आदेश दिये हैं.
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