profilePicture

प्रत्येक माह होती है लाखों की कमाई

देवघर: पिछले कई वर्षो से नंदन पहाड़ पार्क का संचालन जिला प्रशासन करता रहा है. पार्क में मनोरंजन के लिए रोजाना सैकड़ों लोग यहां जुटते हैं. यहां प्रवेश शुल्क, झूला शुल्क, मछली घर, भूत घर व वोटिंग आदि के लिए एक पर्यटक तकरीबन 40-50 रुपये प्रबंधन को दे जाते हैं.प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीJayant Chaudhary: […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:53 PM

देवघर: पिछले कई वर्षो से नंदन पहाड़ पार्क का संचालन जिला प्रशासन करता रहा है. पार्क में मनोरंजन के लिए रोजाना सैकड़ों लोग यहां जुटते हैं. यहां प्रवेश शुल्क, झूला शुल्क, मछली घर, भूत घर व वोटिंग आदि के लिए एक पर्यटक तकरीबन 40-50 रुपये प्रबंधन को दे जाते हैं.

नंदन पहाड़ प्रबंधन के माध्यम से जिला प्रशासन को प्रत्येक माह लाखों की कमाई होती है. मगर प्रबंधन की ओर से वोटिंग के दौरान होने वाले किसी भी आपातकालीन स्थिति से निबटने के लिए न ही गोताखोर की व्यवस्था है और न ही लेक के समीप आन-जाने वाले लोगों की रोकथाम के लिए ही कोई सेफ्टी गार्ड ही मौजूद रहता है. यही वजह है कि बार-बार नंदन पहाड़ तालाब में मासूम अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.

चार वर्षो में आधा दर्जन मौत
पिछले चार वर्षो के दौरान नंदन पहाड़ में डूब कर मरने वालों की संख्या आधा दर्जन के पार जा पहुंची है. मरने वालों में ज्यादातर 10-13 वर्ष के बच्चे हैं. मगर, प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों की ओर से हर बार कड़ी कार्रवाई की बात कही जाती है. बावजूद इसके हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. दो-तीन माह पूर्व लेक में डूबने से एक छात्र की मौत की घटना के बाद एसडीओ जय ज्योति सामंता ने नंदन पहाड़ पार्क के प्रभारी पदाधिकारी जवाहर कुमार व पीएचइडी पदाधिकारी को शो-कॉज करते हुए लेक के आसपास जंजीर से घेरने की बात कही थी. मगर, मामला आदेशों तक ही सीमित रह गया.

Next Article

Exit mobile version