रिखियापीठ में योग पूर्णिमा का दूसरे दिन हुआ रुद्राभिषेक
संवाददाता, रिखियापीठरिखियापीठ में परमहंस स्वामी सत्यानंदजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहे योग पूर्णिमा उत्सव के दूसरे दिन महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक किया गया. स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी द्वारा रुद्राभिषेक किया गया. अनुष्ठान में शामिल विदेशी भक्त भी महामृत्युमंत्र मंत्र की जाप कर अपने गुरु स्वामी सत्यानंद जी के इष्टदेव भगवान […]
संवाददाता, रिखियापीठरिखियापीठ में परमहंस स्वामी सत्यानंदजी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहे योग पूर्णिमा उत्सव के दूसरे दिन महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक किया गया. स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी द्वारा रुद्राभिषेक किया गया. अनुष्ठान में शामिल विदेशी भक्त भी महामृत्युमंत्र मंत्र की जाप कर अपने गुरु स्वामी सत्यानंद जी के इष्टदेव भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं. गुरु व शिव की भक्ति में लीन विदेशी भक्त ध्यानमग्न होकर छह घंटे तक महामृत्युंजय मंत्र का जाप किये. इस दौरान भारत के विभिन्न राज्यों से आये भक्त भी अक्षत, चंदन व गंगा जल से एक साथ सहस्त्रार्चन कर रहे हैं. सुबह में काशी के 15 विद्वान पंडितों द्वारा गुरु पूजा व भोलेनाथ का श्रृंगार किया गया. अनुष्ठान में 12 ज्योर्तिलिंग की प्रतिमूर्ति यज्ञ मंडप में स्थापित की गयी है. महामृत्युंजय यज्ञ के दौरान गरीबों के बीच वस्त्र, बर्तन, रिक्शा व ठेला का वितरण किया गया. कन्याओं ने कीर्तन ‘है प्रार्थना गुरुदेव से यह धर्ममय संसार हो….पर देश-विदेश के भक्तों को झुमाया.भक्ति योग से जुड़ने का अवसर : स्वामी सत्संगीस्वामी निरंजनानंद जी ने कहा कि यह अवसर भक्ति योग से जुड़ने का है. योग में केवल हठ योग, आसन व प्रणायाम ही पर्याप्त नहीं है. स्वामी सत्यानंदजी ने कई प्रकार का योग दुनिया को रिसर्च के साथ दिया है. योग को केवल विज्ञान में नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला के रूप में स्वामीजी ने इसे विकसित किया. कई देशों में सभी धर्मों में लोगों के बीच स्वामीजी ने योग को प्रचारित किया व इसे स्वीकार किया गया. योग को अध्यात्म से जोड़ा गया. इस योग पूर्णिमा उत्सव में शामिल होकर उनके शिष्य भक्ति योग से जुड़ सकते हैं.