देवघर: देवघर परिसदन स्थित सभागार में मंगलवार को प्रमंडल स्तरीय कुष्ठ निवारण समीक्षा बैठक हुई, जिसमें संताल परगना के छह जिलों सहित गिरिडीह व धनबाद जिले के कुष्ठ पदाधिकारी व सहायक शामिल थे. इसकी अध्यक्षता राज्य कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ नवीन कुमार कर रहे थे. बैठक में एएनसीडीआर (एनुअल न्यू केस डिडक्श्न रेश्यिो) पर विस्तृत चर्चा की गई. इस क्रम में डॉ कुमार ने कहा कि एक साल में एक लाख की आबादी पर अगर किसी जिले में 10 से अधिक केस सामने आते हैं., तो उसे हाइ इंडेमिक ब्लॉक कहा जाता है.
प्रत्येक प्रखंड को चार भागों में बांटने का निर्देश : इसके लिए उस प्रखंड को चार भागों में बांट कर स्पेशल एक्टीविटी प्लान (सैप) चलाने का निर्देश दिया गया. जांच के क्रम में त्रिसदस्यीय टीम के सदस्य (एक एएनएम, एक पुरूष व एक अन्य) प्रखंड के प्रत्येक गांव में सघन अभियान चलायेंगे. इस दौरान प्रत्येक घर के सदस्यों की बारी-बारी से जांच की जायेगी. जांच के क्रम में इंसान के शरीर में किसी भी प्रकार के दाग पाये जाने पर संबंधित व्यक्ति को आवश्यक दवा देकर इलाज किया जायेगा. दवा के लिए फंड करा दिये जाने की बातें कही गई.
बैठक में सिविल सजर्न डॉ दिवाकर कामत, लेप्रोसी के स्टेट को-ओर्डिनेटर एसपी सूद, सुपर वाइजर एसके वर्मा, संताल परगना स¨हत गिरिडीह व धनबाद जिले के कुष्ठ निवारण पदाधिकारी, सहायक पदाधिकारी, देवघर कुष्ठ विभाग के सहायक अजय कुमार सिंह व अनु रंजन कुमार सहित दो दर्जन से अधिक लोग शामिल थे.
देवघर हाइ रिस्क जोन जिला
प्रमंडलीय बैठक में राज्य कुष्ठ निवारण पदाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों के आंकड़ों का रखने का काम किया. इस दौरान देवघर को हाइ रिस्कजोन जिला की संज्ञा दी गई है. इसके पीछे तीर्थनगरी होने के कारण प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में कुष्ठ पीड़ित शहर में आते हैं. मेला समाप्ति के बाद इनमें से कुछ लोगों के जिले से न लौटने की भी जानकारी मिली है. उससे विषाणु फैलने की आशंका जतायी गई है. ऐसे में देवघर जिले के प्रत्येक प्रखंड को हाइ रिस्क जोन की संज्ञा दी गई है. विभागीय सूत्रों की मानें तो यहां एक लाख की आबादी पर 13 मरीज की बातें सामने आयी है.