संवाददाता, देवघरनयी सरकार का गठन हो चुका है. चालू वित्तीय वर्ष के समापन में दो माह शेष है. देवघर जिले में ग्रामीण विकास की लंबित योजनाओं की लंबी सूची है. ऐसी परिस्थिति में ग्रामीण विकास की योजनाओं की राशि को खर्च करना व योजनाओं को पूर्ण करना जिला प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है. जिला स्तर पर संचालित ग्रामीण विकास की प्रमुख योजनाओं में बीआरजीएफ, नन आइएपी व 13वां वित्त आयोग की योजनाएं है. इन तीन योजनाओं का लगभग 20 करोड़ रुपये का फंड जिले में पड़ा हुआ है. 20 करोड़ रुपये की लगभग 250 योजनाएं लंबित है. इन योजनाओं को चालू वित्तीय वर्ष में अगले दो माह में खर्च करना है. जिले में 13वां वित्त आयोग के मद में 10 करोड़ रुपये, बीआरजीएफ का आठ करोड़ व नन आइएपी का करीब दो करोड़ रुपये फंड में पड़ा हुआ है. इसमें बीआरजीफ की कुल 124 व नन आइएपी के 26 योजनाएं पेंडिंग है. जबकि 13वां वित्त आयोग का लगभग 100 योजनाएं लंबित है. इसमें पुल, पुलिया, रोड, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन व दुकानें आदि है. इन योजनाओं की राशि जिला परिषद, विशेष प्रमंडल, लघु सिंचाई विभाग, एनआरइपी व प्रखंडों में मुहैया करायी गयी है. सर्वाधिक पेंडिंग योजनाएं जिला परिषद व विशेष प्रमंडल के पास है. जिला परिषद के पास पूर्व से बीआरजीएफ का फंड रहने के बावजूद 13वां वित्त आयोग व नन आइएपी की राशि मुहैया करायी गयी है. इससे योजनाएं फेहरिस्त इन दोनों विभागों के पास लंबी होती गयी. बताया जाता है कि तीनों योजनाएं केंद्र सरकार के स्तर से संचालित है. अगर समय पर राशि खर्च नहीं हुई तो अगली किस्त का भुगतान अटक सकता है.
मार्च तक कैसे खर्च होंगे करोड़ों रुपये
संवाददाता, देवघरनयी सरकार का गठन हो चुका है. चालू वित्तीय वर्ष के समापन में दो माह शेष है. देवघर जिले में ग्रामीण विकास की लंबित योजनाओं की लंबी सूची है. ऐसी परिस्थिति में ग्रामीण विकास की योजनाओं की राशि को खर्च करना व योजनाओं को पूर्ण करना जिला प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है. […]
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