मधुपुर: शहर के बावनबीघा मुहल्ले में अवस्थित रामकृष्ण विवेकानंद मिशन पिछले 21 वर्षो से अनाथ व गरीब बच्चों की सेवा करते आ रहा है. सन् 1992 से संचालित विवेकानंद मिशन में खास कर आदिवासी बच्चों का लालन-पालन व शिक्षा मुहैया कराया जा रहा है. मिशन द्वारा वैसे बच्चे जिनके माता-पिता जीवित हैं, लेकिन बच्चों को पालने में असमर्थ हैं. इस तरह के बच्चों का भी जिम्मा उठाया है.
बच्चों को मिल रही है कंप्यूटर शिक्षा
मिशन में फिलहाल 30 बच्चे हैं. इनमें अधिकतर आदिवासी समुदाय के बच्चे हैं. इन बच्चों को मुफ्त में भोजन, शिक्षा के साथ–साथ कंप्यूटर शिक्षा भी मुहैया कराया जा रही है.
मिशन परिसर में ही रामकृष्ण मठ भी है. जहां बच्चे अनुशासित व प्रार्थनीय जीवन जीतें हैं. मिशन के प्रभारी ध्रुव नारायण मैथी ने बताया कि रामकृष्ण विवेकानंद मिशन में बच्चों के अध्ययन के लिए कुल 15 कक्षावाले कमरे हैं. इसके अलावा 15 कमरे अतिथियों के लिए बनाये गये हैं. उन्होंने बताया कि मिशन में लोगों द्वारा मिले डोनेशन से बच्चों का पालन–पोषण व पढ़ाई–लिखाई हो पाता है. हालांकि, सरकार से अब तक कोई सहायता नहीं मिली है.
सरकार को भेजा गया था प्रोजेक्ट : मैथी
ध्रुव नारायण मैथी ने बताया कि वर्ष 2012 में मिशन द्वारा खास कर 100 आदिवासी बच्चों के लालन–पालन के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार कर झारखंड सरकार को भेजी गयी थी, लेकिन इस पर कोई पहल अब तक नहीं किया जा सका है. अगर सरकार मिशन को सहायता प्रदान करती है तो अनाथ व गरीब बच्चों का पालन–पोषण आसानी से किया जा सकता है. इधर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिशन के प्रभारी श्री मैथी ने प्रोजेक्ट पर ध्यानाकृष्ट करने की अपील की है.