्रप्रवचन ::: मोह, निद्रा तथा अज्ञान से जागो

उपर्यक्त ग्रंथ की निम्न प्रार्थना हमारे इस मत की पुष्टि करती है- ”पंच तत्वों द्वारा रचित पृथ्वी के प्राणियों! तुम्हारे भीतर परमात्मा का चेतन अमर अंश विद्यमान है. मोह, निद्रा तथा अज्ञान से जागो. स्मरण रखो यह पृथ्वी तुम्हारा स्थायी निवास नहीं है. तुम्हारा स्थायी निवास ज्ञान के प्रकाश में है. सात चक्रों में से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2015 6:03 PM

उपर्यक्त ग्रंथ की निम्न प्रार्थना हमारे इस मत की पुष्टि करती है- ”पंच तत्वों द्वारा रचित पृथ्वी के प्राणियों! तुम्हारे भीतर परमात्मा का चेतन अमर अंश विद्यमान है. मोह, निद्रा तथा अज्ञान से जागो. स्मरण रखो यह पृथ्वी तुम्हारा स्थायी निवास नहीं है. तुम्हारा स्थायी निवास ज्ञान के प्रकाश में है. सात चक्रों में से होते हुए ऊपर चढ़ो तथा उस दिव्य अनंत प्रकाश के साथ तदाकार हो जाओ.”अत: यह एकदम स्पष्ट है कि मिस्त्र की संस्कृति तथा आध्यात्मिक जीवन तंत्र पर आधारित था. वे ब्रह्मांडीय शक्तियों के कार्यकलापों को शिव तथा शक्ति की क्रीड़ा मानते थे. उनकी देवमाता ‘आयसिस’ थी जो शक्ति का ही दूसरा रूप है. इसी प्रकार ‘ओसिरिस’ आयसिस का भाई तथा पति था जो सूर्य (मृत्यु का देवता) तथा निम्न जगत् का स्वामी था. यह तंत्र के शिव से मिलता-जुलता है.मिस्त्र की संस्कृति का आधार कृषि था. ग्रामीण किसान आयसिस को पूजते थे क्योंकि वे उसे विश्व की उर्वरा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानते थे.

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