प्रवचन ::::मिस्र आध्यात्मिक परंपराओं से विकसित हुई थी आध्यात्मिक शिक्षाएं

यह भी आम विश्वास है कि मूसा ने जो कि यहूदी धर्म के पिता माने जाते हैैं, फैरो राजा के दरबार में रहते हुए प्राचीन मिस्र की धार्मिक संस्थाओं में आध्यात्मिक दीक्षा ग्रहण की तथा साधना की थी. इसके बाद उन्होंने यहूदियों को मिस्र से बाहर निकाला तथा उन्हें फिलिस्तीन के मरुस्थल में ले गये, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 5:03 PM

यह भी आम विश्वास है कि मूसा ने जो कि यहूदी धर्म के पिता माने जाते हैैं, फैरो राजा के दरबार में रहते हुए प्राचीन मिस्र की धार्मिक संस्थाओं में आध्यात्मिक दीक्षा ग्रहण की तथा साधना की थी. इसके बाद उन्होंने यहूदियों को मिस्र से बाहर निकाला तथा उन्हें फिलिस्तीन के मरुस्थल में ले गये, जहां उन्हें सिनाई के पर्वत शिखर पर गहन ध्यान में महान दस शिक्षाएं (टेन कमांडमेण्ट) प्राप्त हुई. इन दस आज्ञाओं द्वारा ही यहूदी विश्व में अपने जातीय अस्तित्व तथा आध्यात्मिक परंपराओं को कायम रखने में सफल हुए तथा इन्हीं के द्वारा वे आज की पाश्चात्य सभ्यता के निर्माण में अपना अपूर्व योगदान दे सके. आधुनिक पश्चिमी जगत की आध्यात्मिक परंपराओं पर मिस्र की सभ्यता कर प्रभाव मात्र इतना ही नहीं हैं. चूंकि आर्यों के आक्रमण के पर्व फारस के निवासियों तो कि मेजाय कहलाते थे तथा जो बड़े आध्यात्मिक थे, की आध्यात्मिक शिक्षाएं भी मिस्र आध्यात्मिक परंपराओं से विकसित हुई थी.

Next Article

Exit mobile version