प्रवचन ::::एलुसिनियन की दीक्षा दो स्तरों में विभक्त थी

उच्च स्तर पर अनावश्यक तथा दिखावे वाले आध्यात्मिक आयोजन रद्द कर दिये जाते थे तथा अंतिम रूप से उसे आत्म-रूपांतरण की सूक्ष्य प्रक्रिया में दीक्षित किया जाता था. केवल दीक्षित लोग ही रहस्यात्मक नाटकों में सम्मिलित होते थे तथा उनके लिये वहां जो घटित हुआ उसे प्रकट करना मना था. इस कर्मकांड से मिलती-जुलती परंपरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2015 5:03 PM

उच्च स्तर पर अनावश्यक तथा दिखावे वाले आध्यात्मिक आयोजन रद्द कर दिये जाते थे तथा अंतिम रूप से उसे आत्म-रूपांतरण की सूक्ष्य प्रक्रिया में दीक्षित किया जाता था. केवल दीक्षित लोग ही रहस्यात्मक नाटकों में सम्मिलित होते थे तथा उनके लिये वहां जो घटित हुआ उसे प्रकट करना मना था. इस कर्मकांड से मिलती-जुलती परंपरा की दीक्षा हमें मेसिनिक लाज तथा रोसिक्रूसियनों के समारोह में भी मिलती है. एलुसिनियन की दीक्षा दो स्तरों में विभक्त थी. इनमें से दूसरी दीक्षा एक वर्ष के परीक्षणों के बाद ही प्रदान की जाती थी.मिस्टॉय (भाग लेने वाला) कीक्योम (संभवत: एक प्रकार की मदिरा) पीकर तथा पवित्र रोटी ( जिसमें शायद चेतना विस्तारक जड़ी-बूटियां मिली रहती थीं) खाकर टेलसटेरियन समारोह में प्रविष्ट होते थे, जहां वे उस नाटक को देखते थे, जिसमें कोर (परसेफोनी) का बलपूर्वक अपहरण किया जाता था, जो ऊँची श्रेणी के लोग थे वे पूजन पद्धति-विषयक नाटक देखते थे.

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