प्रवचन :::: पाश्यचात्य दर्शन में दार्शनिकों का योगदान रहा

जिन्होंने अपना जीवन इस अन्वेषण हेतु अर्पित किया, वे दार्शनिक कहलाये. पाश्चात्य दर्शन के विकास में इन दार्शनिकों के विचारों का बड़ा योगदान तथा प्रभाव रहा है. इसी से अवलोकन एवं निष्कर्ष निकालने की वैज्ञानिक पद्धति का विकास हुआ. यही अवलोकन एवं निष्कर्ष आधुनिक भौतिक विज्ञान, टेक्नोलॉजी का आधार है. प्लेटो का जन्म 429 ई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 1, 2015 5:02 PM

जिन्होंने अपना जीवन इस अन्वेषण हेतु अर्पित किया, वे दार्शनिक कहलाये. पाश्चात्य दर्शन के विकास में इन दार्शनिकों के विचारों का बड़ा योगदान तथा प्रभाव रहा है. इसी से अवलोकन एवं निष्कर्ष निकालने की वैज्ञानिक पद्धति का विकास हुआ. यही अवलोकन एवं निष्कर्ष आधुनिक भौतिक विज्ञान, टेक्नोलॉजी का आधार है. प्लेटो का जन्म 429 ई पू में एथेंस के एक विख्यात राजनैतिक परिवार में हुआ था. उसे तत्कालीन राजनैतिक जीवन में व्याप्त हिंसा तथा भ्रष्टाचार से बड़ी अरुचि तथा घृणा थी. 399 ई पू उसके गुरु सुकरात की राज्य द्वारा हत्या ने उसके दिल पर गहरा आघात पहुंचाया. इसका परिणाम यह हुआ कि उसने राजनीति का मार्ग अस्वीकार कर दिया. उसने अपने गुरु से प्रेरणा लेकर नीतिशास्त्र का अध्ययन किया तथा समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में जुट गया. वह ज्ञानयोग की दार्शनिक प्रक्रियाओं के द्वारा मनुष्य में आंतरिक परिवर्तन का सेवा-कार्य उत्साहपूर्वक करने लगा.

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