देवघरः पंडा धर्मरक्षिणी सभा के पूर्व महामंत्री दुर्लभ मिश्र ने सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चुनौती दी है कि वे साबित करें कि किस बैठक में या किस पत्र के द्वारा उन्होंने अरघा सिस्टम और टाइम स्लॉट को स्वीकृति दी है. यदि वे प्रमाणित नहीं कर सकते हैं तो अर्थहीन प्रलाप बंद करें. अरघा सिस्टम का उन्होंने सदा विरोध किया है.
श्री मिश्र ने कहा कि चार सोमवारी पूजा करने वाली व्यक्ति विशेष को निकास द्वार से घुसने में सांसद सहमत हैं तो सालोंभर प्रत्येक सोमवारी या पूर्णिमा या पंडा समाज के रोज पूजा करने वाले भक्तों को क्यों प्रवेश नहीं. बोर्ड की बैठक में इस दरवाजे को क्यों बंद करवाया. ये दोहरी नीति क्यों? उन्होंने कहा कि सांसद हिंदु व हिदुत्व की रक्षा करने वाली पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं तो हिंदुस्तान में सिर्फ हिंदु मंदिरों में दर्शन पर शुल्क का समर्थन क्यों? क्या मक्का मदीना, बेंटीकन सिटी, अकालतख्त, बौद्ध मंदिरों, अजमेर शरीफ में शुल्क लगता है? तो दस रुपया शुल्क लेने के लिए आप हाइकोर्ट पहुंच गये. इसके पीछे क्या स्वार्थ है.
श्री मिश्र ने कहा कि सांसद बतायें कि बोर्ड गठित होने का 12 साल होने को है इस दरम्यान यात्री हित में बोर्ड ने कौन सा काम किया है. संस्कार भवन बिहार सरकार के मद से बना. ओभर ब्रिज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से हुआ जिसमें अजरुन मुंडा, आइएएस अरुण सिंह, शैलेश सिंह, मस्तराम मीणा के परिश्रम से बना, जिसका उपयोग हो रहा है. एक उमा मंडप भक्तों के पैसे से बनवाया, उसे होटल के रूप में व्यापारिक उपयोग करते हैं.