व्याख्यानमाला के तीसरे दिन डॉ उमाकांत चतुर्वेदी ने रखे विचार

संवाददाता, देवघर लक्ष्मी देवी शराफ आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में चार दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है. व्याख्यानमाला के तीसरे दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सहाचार्य डॉ उमाकांत चतुर्वेदी ने व्याख्यानमाला के माध्यम से लोगों के बीच अपने विचारों को रखा. व्याख्यानमाला का विषय ‘रसस्वरूविवेचनं पण्डितराजमते’ था. डॉ उमाकांत चतुर्वेदी ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2015 12:07 AM

संवाददाता, देवघर लक्ष्मी देवी शराफ आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में चार दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है. व्याख्यानमाला के तीसरे दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सहाचार्य डॉ उमाकांत चतुर्वेदी ने व्याख्यानमाला के माध्यम से लोगों के बीच अपने विचारों को रखा. व्याख्यानमाला का विषय ‘रसस्वरूविवेचनं पण्डितराजमते’ था. डॉ उमाकांत चतुर्वेदी ने कहा कि यह केवल भारतवर्ष के लिए नहीं, बल्कि समग्र विश्व के लिए यह गौरव की बात है कि अक्षयनिधि के रूप में आज संस्कृत भाषा का विराट स्वरूप पुन: समाज के दृष्टि पटल पर आ रहा है. संस्कृत साहित्य वह सर्वोत्कृष्ट रूप है. जो जीवन को सौंदर्यात्मक एवं गत्यात्मक बनाता है. काव्यशास्त्रादि निर्माण आदि प्रक्रिया आदिकाल से चली आ रही है. यही कारण है कि आज समग्र विश्व में संस्कृत साहित्य प्रतिष्ठित है. उन्होंने कहा कि रस ही काव्य की आत्मा है एवं मनुष्य रस को प्राप्त कर आनंद अनुभव करता है. कार्यक्रम के अध्यक्ष सह महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ केशर कुमार राय ने कहा कि संस्कृत साहित्य की प्रतिष्ठा रस, गुण, अलंकार के द्वारा ही होती है. इसलिए संस्कृत साहित्य के पठन-पाठन की महत्ता पर बल दिया गया है. कार्यक्रम का संचालन डॉ गणेश राज जोशी ने किया. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण एवं सरस्वती पूजन से हुआ. महाविद्यालय की छात्रा अंशु कुमारी झा ने आगत अतिथि का स्वागत किया. इस मौके पर प्राध्यापकगण एवं काफी संख्या में छात्र आदि उपस्थित थे.

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