संवाददाता, दुमकापूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल में दो अक्तूबर 2013 को चलंत जल शोधन संयंत्र को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था. जो अब पेयजल एवं स्वच्छता विभाग परिसर में जर्जर हो रहा. झारखंड सरकार के पेयजलर स एवं स्वच्छता विभाग ने जिस मकसद से झारखंड के सभी जिला के लिए 28-28 लाख रुपये की लागत से ट्रक में स्थापित यह संयंत्र खरीदा गया था, वह पूरा नहीं हुआ. जानकार बताते हैं कि 28 लाख के इस वाहन से 28 हजार लीटर पानी का भी प्युरीफिकेशन नहीं हो सका है. फिलहाल यह वाहन गंदगी से पट चुका है. रौनक बिगड़ चुकी है. ———————-”इस वाहन को उपलब्ध कराने का मकसद लोगों को मामूली कीमत पर प्युरीफाइड वाटर उपलब्ध कराने की थी. वाहन तो उपलब्ध करा दिया गया, पर आज तक ऑपरेटर जिला को उपलब्ध नहीं कराया जा सका. जिस कारण वाहन का उपयोग हम नहीं कर पा रहे हैं”मंगल पूर्ति, कार्यपालक अभियंता————————-”योजना लगता है पिछली सरकार ने लूट-खसोट के लिए ही बनायी थी. इस योजना का लाभ तभी मिलता, जब उसके संचालन की व्यवस्था होती और उसका लाभ लोगों को सुनिश्चित कराने का ईमानदार प्रयास होता. संयंत्र में लाखों रुपये खर्च करने के बाद उसका उपयोग नहीं होना कई सवाल खड़े करता है.”निरोज बैरा, सामाजिक कार्यकर्ता.—————————फोटो24-दुमका-वाटर24-दुमका-वाटर: मंगल पूर्ति24-दुमका-वाटर: निरोज बैरा
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ओते….. चलंत जल शोधन संयंत्र बना कबाड़
संवाददाता, दुमकापूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल में दो अक्तूबर 2013 को चलंत जल शोधन संयंत्र को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था. जो अब पेयजल एवं स्वच्छता विभाग परिसर में जर्जर हो रहा. झारखंड सरकार के पेयजलर स एवं स्वच्छता विभाग ने जिस मकसद से झारखंड के सभी जिला के लिए 28-28 लाख […]
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