प्रवचन::: समुदाय पर स्वामित्व कर जीवन यापन करते थे

संपत्ति के नाम पर इनके पास जो कुछ भी था, उस पर पूरे समुदाय का स्वामित्व था. इसी से उनकी आवश्यकता पूरी होती थी. चूंकि वे समुदाय में रहते थे, इसलिए वे समुदाय में अध्ययन करते, खाते और सबकी भलाई के लिए अपनी शक्ति खर्च करते थे. उनमें श्रम-विभाजन था. वे अपने कार्य को पूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2015 7:03 PM

संपत्ति के नाम पर इनके पास जो कुछ भी था, उस पर पूरे समुदाय का स्वामित्व था. इसी से उनकी आवश्यकता पूरी होती थी. चूंकि वे समुदाय में रहते थे, इसलिए वे समुदाय में अध्ययन करते, खाते और सबकी भलाई के लिए अपनी शक्ति खर्च करते थे. उनमें श्रम-विभाजन था. वे अपने कार्य को पूरी शक्ति, धैर्य, आनंद और लगन से करते थे. वे श्रम से जी नहीं चुराते थे. वे सूर्योदय से पहले अपने कार्यों में जुट जाते थे तथा सूर्यास्त के बाद तक काम करते रहते थे. जो कृषि में निपुण थे वे कृषि कार्य करते थे. कुछ अन्य लोग पशुओं की देखभाल करते थे. सब एक साथ सादा भोजन करते थे. उनके वस्त्र एक जैसे होते थे. जाड़े में ऊनी वस्त्रों का तथा गर्मियों में बिना बांह के कुरतों का उपयोग करते थे.

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