सीबीआइ को मोहनपुर के सीआइ की तलाश!
देवघर: मोहनपुर अंचल कार्यालय में पदस्थापित तत्कालीन सीआइ (अंचल निरिक्षक) सेफानियल किस्कू की तलाश सीबीआइ की टीम कर रही है. सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ अधिकारियों ने सेफानियल के घर का पता स्थापना शाखा व अंचल कार्यालय से मांगा है. देवघर भूमि घोटाले में सेफानियल किस्कू नामजद आरोपित हैं, लेकिन सेफानियल का पता अंचल के अधिकारियों […]
देवघर: मोहनपुर अंचल कार्यालय में पदस्थापित तत्कालीन सीआइ (अंचल निरिक्षक) सेफानियल किस्कू की तलाश सीबीआइ की टीम कर रही है. सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ अधिकारियों ने सेफानियल के घर का पता स्थापना शाखा व अंचल कार्यालय से मांगा है. देवघर भूमि घोटाले में सेफानियल किस्कू नामजद आरोपित हैं, लेकिन सेफानियल का पता अंचल के अधिकारियों को नहीं मिल रहा है. सेफानियल से संबंधित पता का कोई पत्र अंचल कार्यालय में मौजूद नहीं है. अंचल कर्मियों को सेफानियल का पता खोजने में पसीने छूट रहे हैं. सेफानियल का पदस्थापना मोहनपुर अंचल कार्यालय में 1993 में हुई थी. इसके बाद लंबी अवधि तक वे मोहनपुर में सीआइ के पद परआसीन थे.
सूत्रों के अनुसार सेफानियल के कार्यकाल में मोहनपुर में जम कर जमीन का म्यूटेशन हुआ था. झारखंड गठन के बाद तक सेफानियल की पोस्टिंग मोहनपुर में हुई थी. सेफानियल के कार्यकाल दौरान हुई जमीन की म्यूटेशन की फाइल खंगालने के क्रम में सीबीआइ को गड़बड़ियां हाथ लगी है. सीबीआइ अब इस मामले में सेफानियल से पूछताछ कर असलियत की पड़ताल करेगी. बताया जाता है कि म्यूटेशन की यह जमीन अधिकांश बंधा व रामपुर मौजा में है.
पहले म्यूटेशन में भी हुआ है खेल !
2004 में जमीन की रजिस्ट्री में एनओसी की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. जबकि इससे पहले सीधे जमीन की रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन होता था. इसमें एनओसी की प्रक्रिया नहीं थी. उस दौरान हुई जमीन के म्यूटेशन व लगान रसीद में कई गड़बड़ियां सीबीआइ को मिल रही है. इससे स्पष्ट हो रहा है कि एनओसी की प्रक्रिया से पहले अधिकारियों ने कई जमीन काम्यूटेशन आंख बद कर किया.