प्रवचन:::: मनुष्य विकास करते हुए दिव्य चेतना को प्राप्त करता है
यदि हिंदू धर्म को समझना है तो इस तथ्य को स्वीकार करना पड़ेगा कि इसका संकलन उन ज्ञानालोकित महान ऋषि-मुनियों द्वारा हुआ, जिन्हें ध्यान की उच्च अवस्था में ज्ञान तथा अंतदृर्ष्टि प्राप्त हुई थी. उन्होंने जीवन के हर आयाम के आध्यात्मीकरण हेतु एक आदर्श जीवन पद्धति प्रदान की. उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य कैसे […]
यदि हिंदू धर्म को समझना है तो इस तथ्य को स्वीकार करना पड़ेगा कि इसका संकलन उन ज्ञानालोकित महान ऋषि-मुनियों द्वारा हुआ, जिन्हें ध्यान की उच्च अवस्था में ज्ञान तथा अंतदृर्ष्टि प्राप्त हुई थी. उन्होंने जीवन के हर आयाम के आध्यात्मीकरण हेतु एक आदर्श जीवन पद्धति प्रदान की. उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य कैसे विकास के स्तरों को पार करता हुआ दिव्य चेतना के लक्ष्य तक पहुंच सकता है. यही वैदिक दर्शन जिसे वेदांत कहा जाता है, वर्तमान हिंदू धर्म का आधार है. हिंदू धर्म की मान्यता है कि मानव का विकास एक सतत प्रक्रिया है जिसके चरण एक जन्म से दूसरे जन्म तक आगे ही बढ़ते हैं. मृत्यु इस विकास का अगला पड़ाव है. यह यात्रा गतिशील हो सकती है. यदि व्यक्ति सत्य तथा आध्यात्मिक अनुशासन को जीवन में वरीयता प्रदान करता है तो पूर्णता, दिव्यता तथा ईश्वर साक्षात्कार हिंदू धर्म के जीवनादर्श होते हैं.