अब सगे संबंधियों पर दावं खेलने की तैयारी

देवघर: निगम चुनाव में वार्ड के आरक्षण की सूची सार्वजनिक होने के बाद गहमागहमी शुरू हो गयी है. आरक्षण कोटा क्लीयर होने के बाद कई सीटींग वार्ड पार्षदों के मंसूबों पर पानी फिर गया है. इसके अलावा कई सीटींग पार्षदों का परिसीमन के कारण समीकरण बिगड़ गया है. ये सभी सीटींग पार्षद अब निगम चुनाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2015 8:11 AM
देवघर: निगम चुनाव में वार्ड के आरक्षण की सूची सार्वजनिक होने के बाद गहमागहमी शुरू हो गयी है. आरक्षण कोटा क्लीयर होने के बाद कई सीटींग वार्ड पार्षदों के मंसूबों पर पानी फिर गया है. इसके अलावा कई सीटींग पार्षदों का परिसीमन के कारण समीकरण बिगड़ गया है.

ये सभी सीटींग पार्षद अब निगम चुनाव में अपने सगे संबंधियों पर दावं खेलेंगे. जो कद्दावर वार्ड पार्षद इस बार चुनाव नहीं लड़ पायेंगे, इनमें डा सुरेश भारद्वाज, प्रो हरिचरण खवाड़े, राकेश नरौने उर्फ सुग्गा, सचिन चरण मिश्र, वरुण मिश्र, अनूप वर्णवाल, परमहंस पांडेय, सुमन पंडित आदि शामिल हैं. ये अपने चुनाव क्षेत्र में आरक्षण के आधार पर अपने परिवार में ही उम्मीदवार तलाश रहे हैं. कोई चुनाव में अपनी पत्नी को उतारने की तैयारी में हैं तो कई अन्य संबंधियों को. स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि कई वार्ड में तो अपने ही अपनों से टकरायेंगे. हालांकि सेटिंग का खेल चल रहा है लेकिन अभी तक चुनावी दंगल में अपनी जगह कोई छोड़ना नहीं चाह रहा है. ऐन-केन प्रकारेण सीट बचाये रखने के लिए कई पार्षद रणनीति पर काम कर रहे हैं.

बैठाने और मनाने की नीति पर भी चल रहा है काम
कई वार्ड में तो स्थिति यह है कि एक ही परिवार के कई उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोंकने को तैयार हैं. कोई दूर का रिश्तेदार है तो कई नजदीक का. इन संभावित उम्मीदवारों के बीच बैठाने या मनाने की नीति पर काम चल रहा है. लोग घूमघूम कर अपने पक्ष में पारिवारिक समीकरण जुगाड़ रहे हैं.
जेनरल सीट ओबीसी के लिए रिजर्व होने वाले असमंजस में वहीं कई सीट इस बार के आरक्षण सूची में जेनरल से ओबीसी के लिए रिजर्व हो गया है. ऐसे में जेनरल सीटींग वार्ड पार्षद जो इस बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, इस बार जेनरल सीट के ओबीसी में तब्दील हो जाने से ठंडे पर गये हैं.
डिप्टी मेयर बनने की रणनीति भी हुई फेल
इस चुनाव के लिए जो तैयारी चल रही थी, उसमें कई वार्ड पार्षद ऐसे थे जो अपने नवाजे को पार्षद बनाकर राजनीति में इंट्री कराना चाह रहे थे. चुनाव जीतने के बाद अपने नवाजे को डिप्टी मेयर की गद्दी तक पहुंचाने के लिए झोली खोलने को तैयार बैठे थे, लेकिन अब सारे मंसूबों पर आरक्षण ने पानी फेर दिया है.

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