profilePicture

प्रवचन:::: लंबे समय तक मन को एकाग्र करना कठिन है

जैसे औसत व्यक्तियों के लिए जिनका मन चंचल है, वासनाओं, उद्वेगों, चिंताओं, कुंठाओं तथा परेशानियों से भरा है, नाम-रूप विहीन अंतिम सत्य पर लंबे समय तक मन को एकाग्र करना यदि असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है. इसके लिए सर्वप्रथम चित्त-वृत्तियों की शुद्धि तथा व्यवधानों का निराकरण आवश्यक है. अनेक देवता तथा उनकी पूजा मन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2015 6:04 PM

जैसे औसत व्यक्तियों के लिए जिनका मन चंचल है, वासनाओं, उद्वेगों, चिंताओं, कुंठाओं तथा परेशानियों से भरा है, नाम-रूप विहीन अंतिम सत्य पर लंबे समय तक मन को एकाग्र करना यदि असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है. इसके लिए सर्वप्रथम चित्त-वृत्तियों की शुद्धि तथा व्यवधानों का निराकरण आवश्यक है. अनेक देवता तथा उनकी पूजा मन में श्रद्धा, भक्ति तथा प्रेम उत्पन्न करते हैं, जो मन को एकाग्र करने के सशक्त माध्यम हैं. देवताओं की बहुलता विभिन्न स्वभाव, आकर्षण तथा मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों की जरूरतें पूरी करती है. अपने इष्ट के प्रति समर्पण तथा भक्तिभाव द्वारा वैज्ञानिक समस्याओं का निदान, इच्छा तथा वासनाओं का धीरे-धीरे दिव्यीकरण होता है. जैसे-जैसे भक्त का आध्यात्मिक विकास होता है वैसे-वैसे उसका समर्पण यथार्थ और आंतरिक होने लगता है. अंत में वह उस बिंदु पर पहुंचता है, जहां मन सशक्त, स्थिर तथा एकाग्र हो माया के परे आत्मा के साक्षात दर्शन करता है.

Next Article

Exit mobile version