तपने लगी धरती, सूखने लगे हलक

मधुपुर: गरमी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. शहरी व ग्रामीण अंचलों में पेयजलापूर्ति की समस्या गहराने लगी है. सैकड़ों चापानल मरम्मत के अभाव में खराब पड़े है. क्षेत्र की अजय नदी व पतरो नदी के अलावा फागो जोरिया आदि भी सूख चुकी है. इस कारण चापानल व कुआं का जलस्तर काफी नीचे चला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2015 8:56 AM
मधुपुर: गरमी ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. शहरी व ग्रामीण अंचलों में पेयजलापूर्ति की समस्या गहराने लगी है. सैकड़ों चापानल मरम्मत के अभाव में खराब पड़े है. क्षेत्र की अजय नदी व पतरो नदी के अलावा फागो जोरिया आदि भी सूख चुकी है.
इस कारण चापानल व कुआं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है.

सैकड़ों की संख्या में तालाब व कुआं सूख चुके हैं. तालाब व जोरिया के सूखने से मवेशी के समक्ष भी पानी पीने की समस्या उत्पन्न हो गयी है. वहीं शहरी जलापूर्ति योजना भी पूरी तरह सफे द हाथी साबित हो रहा है. यह योजना न सिर्फ अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है, बल्कि अपने उद्देश्यों से भटक चुका है.

सैकड़ों चापानल खराब
मधुपुर पेयजलापूर्ति विभाग के अंतर्गत अनुमंडल के विभिन्न प्रखंड में कुल 9,283 चापानल हैं. इनमें विशेष मरम्मत के अभाव में 622, राइजर पाइप के अभाव में 1235 व सामान्य मरम्मत नहीं होने के कारण 230 चापानल बंद पड़े हुए हैं. 7,196 चापानल विभागीय आंकड़ों के अनुसार चालू है. इनमें मधुपुर में 1876, करौं में 1474, मारगोमुंडा में 1228, सारठ में 2424, पालोजोरी में 2283 चापानल हैं. इसके अलावा मधुपुर शहरी क्षेत्र में भी 368 चापानल है, जिसमें दर्जन भर खराब हैं.
मरम्मत के पैसे का नहीं हुआ पूर्ण उपयोग
पिछले दो वर्षो से चापानल मरम्मत का जिम्मा पूरी तरह ग्राम जल स्वच्छता समिति के जिम्मे सरकार ने दे दिया है. जिसके तहत वित्तीय वर्ष 2012-13 में 15,01,200 व 2013-14 में 18,36,331 के अलावा पुन: 2.96 लाख का आवंटन विभिन्न समिति के खाते में सीधे भेजा गया, लेकिन कई समिति उक्त राशि को अब तक खर्च नहीं कर पायी है.

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