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सालाना 20 हजार छात्रों का पलायन

देवघर: झारखंड का अति पिछड़ा क्षेत्र संताल परगना में प्राथमिक शिक्षा की तरह उच्च शिक्षा का भी विकास नहीं हो पाया. संताल का एक मात्र सिदो कान्हू मुमरू विवि की स्थापना और कॉलेज खोल बीए व एमए की डिग्री देना ही उद्देश्य नहीं है. छात्र अभी भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित है. ये बातें […]

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देवघर: झारखंड का अति पिछड़ा क्षेत्र संताल परगना में प्राथमिक शिक्षा की तरह उच्च शिक्षा का भी विकास नहीं हो पाया. संताल का एक मात्र सिदो कान्हू मुमरू विवि की स्थापना और कॉलेज खोल बीए व एमए की डिग्री देना ही उद्देश्य नहीं है. छात्र अभी भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित है. ये बातें शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में प्रभात परिचर्चा के दौरान अतिथि देवघर कॉलेज के प्राचार्य डॉ सीताराम सिंह ने कही. उन्होंने बताया कि छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. डिग्री तो मिल रही है, लेकिन तकनीकी दक्षता का विकास नहीं हो रहा है. यहां इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज के अलावा आइटी सेक्टर के लायक कंप्यूटर एजुकेशन की जरूरत है. यहां के छात्रों की आर्थिक स्थिति भी काफी कमजोर है, लेकिन उन्हें कंप्यूटर की शिक्षा दी जाय तो वे अपना भविष्य संवार सकते है. हम सभी शिक्षकों को मिल कर ज्ञान व अज्ञानता के बीच एक रेखा खींचने की जरूरत है.

पलायन नहीं रोकने में सभी जिम्मेदार
हर साल संताल परगना में इंटर करने के बाद लगभग 20 हजार छात्र पलायन कर रहे हैं. पलायन नहीं रोक पाने के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं. काफी चिंता की बात है कि बच्चे बाहर जा रहे है. वहीं वोकेशनल कोर्स शुरू किया गया, लेकिन तकनीकी दक्षता की व्यवस्था में कमी है. अच्छे शिक्षक की नियुक्ति हो तो छात्रों को उसी लेवल का तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा. इसके लिए सरकारी नीति में बदलाव लाने की जरूरत है.

शोध में छात्र कर सकते हैं बेहतर
संताल में उच्च शोध केंद्र खोलने की जरूरत है. ऐसा होना चाहिए कि जो यहां की भूगर्भ संपत्ति या पहाड़ के ऊपर जंगल-झाड़ में औषधीय पत्ती की खोज के लिए शोध संस्था की जरूरत है. जिससे छात्रों को शोध करने वाले विषय पढ़ने का मौका मिलेगा और शोध के क्षेत्र में अच्छा कर सकते हैं.

छात्रों बढ़े, लेकिन शिक्षक नहीं
डॉ सिंह ने कहा कि वर्ष 1960-70 में सरकार द्वारा किये गये स्वीकृत पद की संख्या को नहीं बढ़ाया गया है. वहीं छात्रों की संख्या में कई गुणा बढ़ोतरी हुई. कॉलेजों में कमरा व शिक्षक उतना ही है, लेकिन मैनपावर व इंफ्रास्ट्रर नहीं बढ़ पाया.

20 फीसदी नामांकन कम हुआ
इस साल छात्रों के नामांकन रेट में 20 फीसदी की गिरावट आयी है. डॉ सिंह ने कहा कि कई संकाय में काफी सीट खाली है. उन्होंने कहा कि चार-पांच साल में विवि ने सिस्टम में काफी बदलाव किये, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसका सबसे बड़ा कारण है सेशन लेट होना.

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