प्रवचन::: ताओ मत का जन्म चीन में हुआ

इसके पश्चात वह वर्षा की कल्पना करता है, जिसमें उसके शरीर पर पड़ी धूल बह जाती है (यह चतुर्थ धारणा है जिसे ‘वारुणी’ कहते हैं) सबसे अंत में उसे कल्पना करना चाहिए कि वह ईश्वर के साथ तदाकार सात तत्वों से विलग, सिहांसन पर विराजमान चंद्रमा की तरह धवल आलोक संपन्न तथा देवों द्वारा पूजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2015 4:03 PM

इसके पश्चात वह वर्षा की कल्पना करता है, जिसमें उसके शरीर पर पड़ी धूल बह जाती है (यह चतुर्थ धारणा है जिसे ‘वारुणी’ कहते हैं) सबसे अंत में उसे कल्पना करना चाहिए कि वह ईश्वर के साथ तदाकार सात तत्वों से विलग, सिहांसन पर विराजमान चंद्रमा की तरह धवल आलोक संपन्न तथा देवों द्वारा पूजा जा रहा है.’ ताओ धर्म: ताओ मत का अभ्युदय प्राचीन चीन के जादू तथा इंद्रजाल से हुआ था. भारतीय तंत्र के मूल स्त्रोत की तरह ताओ मत भी रहस्य के आवरण में छिपा पड़ा है. परंतु इतना तो निर्विवाद है कि कनफ्युशियस (ईपू की छठी शताब्दी) के समय में यह चीन के उन लोगों के बीच फूला-फला जो सक्रिय सांसारिक जीवन बिताने के बाद जंगलों में चले गये तथा त्याग एवं विरक्तिमय जीवन बिताते हुए ध्यान की साधना करने लगे थे.

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