प्रवचन::: सैनिक कला में ताओ मत का प्रभाव दिखता है

इनके अतिरिक्त सैनिक कला जैसे- कंग फू, ऐकिडो, जूडो, लोकप्रिय चल-ध्यान, ताइ-ची-चुआन तथा आई-चिंग (परिवर्तन की पुस्तक) आदि पर भी ताओ मत का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है. चूंकि ताओ मत का विस्तार जीवन के हर पहलू को छूता है, अत: जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों जैसे भोजन पकाना, आत्मरक्षा, आरोग्य आदि सबके लिए इसमें स्थान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2015 6:04 PM

इनके अतिरिक्त सैनिक कला जैसे- कंग फू, ऐकिडो, जूडो, लोकप्रिय चल-ध्यान, ताइ-ची-चुआन तथा आई-चिंग (परिवर्तन की पुस्तक) आदि पर भी ताओ मत का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है. चूंकि ताओ मत का विस्तार जीवन के हर पहलू को छूता है, अत: जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों जैसे भोजन पकाना, आत्मरक्षा, आरोग्य आदि सबके लिए इसमें स्थान था. यदि हम तंत्र तथा ताओ मत में प्रचलित ध्यान की तकनीकों की तुलना करें तो हमें उन दोनों में बड़ी समानता मिलेगी. ‘हेवाजिया तंत्र’ का कथन है कि मनुष्य का जिन कारणों से पतन होता है वे ही कारण उसका उत्थान भी कर सकते हैं. ‘ताओ ते-धिंग’ भी इसी से मिलती-जुलती बात निम्न पद्य में कहता है-‘पीछे लौटना ही आगे बढ़ने का मार्ग है. कमजोरी ही इस मार्ग पर बढ़ने का साधन है.’

Next Article

Exit mobile version