प्रवचन::::: यिन मातृशक्ति है

यिन पृथ्वी की अंधकारमय संकुचनशील पोषक प्रवृत्ति है. यह मातृशक्ति है, जिससे हम सब उत्पन्न हुए हैं. याड़ उसकी आकुंचन प्रवृत्ति तथा पुरुष पक्ष है. वह सृष्टि का प्रकाश तथा प्रसारित होने वाला बल है. चूंकि मनुष्य के पैर जमीन पर तथा सिर आकाश की ओर रहता है, अतएव उसे अनिवार्य रूप से पृथ्वी तथा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2015 7:03 PM

यिन पृथ्वी की अंधकारमय संकुचनशील पोषक प्रवृत्ति है. यह मातृशक्ति है, जिससे हम सब उत्पन्न हुए हैं. याड़ उसकी आकुंचन प्रवृत्ति तथा पुरुष पक्ष है. वह सृष्टि का प्रकाश तथा प्रसारित होने वाला बल है. चूंकि मनुष्य के पैर जमीन पर तथा सिर आकाश की ओर रहता है, अतएव उसे अनिवार्य रूप से पृथ्वी तथा आकाश के बीच संतुलन बनाये रखना चाहिए. ताओ का यही मार्ग व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार तथा मोक्ष तक ले जाता है. आंतरिक संतुलन के परिणामस्वरूप सच्चे सद्गुण प्रकट होते हैं. ये सद्गुण ताओ मतानुयायी को अपने वातावरण के साथ स्वस्थ सामन्जस्य स्थापित करने में सहायता करते हैं.

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