देवघर: रिमांड होम की 17 लड़कियों की शिकायत को एसपी सुबोध प्रसाद ने गंभीरता से लिया है. शिकायत की जांच के लिए शुक्रवार को एसपी, महिला थाना प्रभारी प्रफुल्लित कुजूर व नगर थाना प्रभारी केके साहू रिमांड होम पहुंचे. रिमांड होम के रजिस्टर की पड़ताल के दौरान पता चला कि अधिकारियों ने जमकर जुबनाइल एक्ट की धज्जियां उड़ायी है.
एसपी सुबोध प्रसाद ने बताया कि रजिस्टर से संकेत मिले हैं कि तत्कालीन रिमांड होम प्रभारी अशोक प्रसाद ने डीसी आवास के नाम पर एक लड़की को रिमांड होम से बाहर ले गये. लगभग एक घंटे 10 मिनट तक वह लड़की बाहर रही. वापस आने के बाद रजिस्टर में लिखा गया कि डीसी आवास से लड़की को रिमांड होम वापस लाया गया.
इस तरह निलंबित डीडब्ल्यूओ अशोक प्रसाद व डीपीआरओ जवाहर कुमार के कारनामे रिमांड होम से भी जुड़े होने के संकेत मिले हैं. एसपी ने कहा कि पूरा मामला क्या है? शाम को क्यों लड़की को बाहर ले जाया गया? डीसी आवास वह लायी गयी थी या नहीं? लायी गयी थी तो क्यो? पूरा मामला जांच का विषय है. इस संबंध में पुलिस जेल में बंद दोनों अधिकारियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी करेगी. एसपी ने रिमांड होम की इंट्री रजिस्टर को जब्त कर लिया और मौजूद पदाधिकारी के हस्ताक्षर से एक नया इंट्री रजिस्टर खुलवाया.
मार्च में एक लड़की को डीसी आवास ले जाने की इंट्री
एसपी ने कहा : रिमांड होम की इंट्री रजिस्टर में संप्रेषण गृह के अधीक्षक (कल्याण पदाधिकारी अशोक प्रसाद) के आने-जाने का समय अक्सर शाम का है. कभी-कभी वे दिन में भी रिमांड होम आ जाते थे. इंट्री रजिस्टर के मुताबिक एक-दो बार मनोरमा सिंह, नगर निगम के कथित टैक्स कलक्टर शिव प्रसाद राम सहित एक-दो पत्रकारों के भी आने-जाने का उल्लेख है. 21 मार्च को इंट्री रजिस्टर में शाम 5:50 बजे संप्रेषण गृह के अधीक्षक ( अशोक प्रसाद ) आये और शाम 6:20 में एक बच्ची को लेकर बाहर निकले. लगभग 70 मिनट बाद उक्त लड़की को लेकर अधिकारी वापस रिमांड होम आये. इंट्री रजिस्टर में लिखा है लड़की को डीसी आवास से दिखा कर लाये.
आवेदन की जांच में छेड़छाड़ की पुष्टि नहीं
जांच के क्रम में एसपी ने पहले रिमांड होम में प्रतिनियुक्त जवानों, महिला जवानों सहित वहां प्रतिनियुक्त कर्मी व चालक से भी पूछताछ की. बाद में एसपी वहां के कर्मियों, महिला थाना प्रभारी की मौजूदगी में अंदर जाकर शिकायत देने वाली एक-एक लड़कियों से भी बातचीत की. जांच-पड़ताल के बाद एसपी ने पत्रकारों से कहा 17 लड़कियों के नाम से लिखित पत्र मिला था.
जांच में कुछ लड़कियों का हस्ताक्षर सही पाया गया किंतु किसी ने आवेदन में वर्णित आरोपों की पुष्टि नहीं की. एसपी ने कहा कि 27 मार्च को अधीक्षक अशोक प्रसाद व डीपीआरओ जवाहर कुमार एक पत्रकार के साथ गये थे . इंट्री रजिस्टर में भी तीनों के नाम दर्ज हैं . वे लोग दिन 11:55 में इंट्री किये और दोपहर 1:45 में बाहर निकले. पूछताछ में जवान सुनील कुमार ने एसपी को बताया कि अंदर में खूब होली खेली गयी थी. मोटे कद के एक पत्रकार ने उसकी रिकॉर्डिग भी की थी. एसपी ने बताया कि बाद में उस क्लिप को लोकल चैनल के माध्यम से पूरे शहर में प्रसारित भी कराया गया था.
रिमांड होम में खेली गयी होली
कानून के जानकारों की मानें तो रिमांड होम प्रवेश निषेध जोन है. कोर्ट के आदेश के बगैर बच्चियों की कोई तस्वीर व रिकॉडिंग नहीं कर सकता है. होली में अवैध रुप से जाना, होली खेलना कानून का उल्लंघन है. वहीं पूरे मामले की वीडियो क्लिपिंग बना कर शहर में प्रसारित कराना जुबेनाइल एक्ट का उल्लंघन है. आखिर किसके आदेश पर इन लोगों की इंट्री हुई थी.
क्या कहते हैं एक्ट के विशेषज्ञ
जुबेनाइल जस्टिस एक्ट के जानकार कहते है कि रिमांड होम से किसी भी बच्ची को बगैर बोर्ड या कोर्ट की अनुमति से कार्यावधि में बाहर नहीं ले जाया जा सकता है. होम की बच्चियों को संध्या समय बगैर अनुमति के अगर अधिकारी भी बाहर ले जाते है, तो जुबेनाइल एक्ट का घोर उल्लंघन माना जाता है. एक्ट के मुताबिक होम की बच्चियों को ले जाने वाले अधिकारी पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान है. रिमांड होम की बच्चियों को किसी भी कार्यक्रम में ले जाने के लिए बाल कल्याण समिति से अनुमति लेना अनिवार्य है. इसके साथ ही इसकी सूचना जिला जज, डीसी और समाज कल्याण विभाग रांची को दिये जाने का सख्त निर्देश है. जेजे एक्ट में साफ तौर पर उल्लेख है कि एक्ट का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सकता है.
जांच में शिकायत-पत्र के आरोप की पुष्टि रिमांड होम की बच्चियों ने नहीं किया है. होली की विडियो ग्राफी व लोकल चैनल में प्रसारित कराने की बात सामने आयी. क्लिप मंगा कर जांच करेंगे. इस संबंध में दोनों अधिकारियों से रिमांड पर पूछताछ होगी. 21 मार्च को अधीक्षक द्वारा शाम में एक बच्ची को बाहर ले जाने का रजिस्टर में इंट्री है. इसकी भी जांच करायेंगे. कभी-कभी बच्चियों को खेल में शामिल कराने ले जाते थे, किंतु शाम को क्यों ले गये. कोड ऑफ कंडक्ट देखेंगे. -सुबोध प्रसाद, एसपी