गुरु के सानिध्य से जीवन में आती है सकारात्मकता : स्वामी सत्संगीजी

रिखियापीठ में गुरु पादुका पूजन के साथ गुरु पूर्णिमा उत्सव रिखियापीठ : परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की तपोस्थली रिखियापीठ में दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव शुक्रवार को तीन चरणों में गुरु पादुका पूजन के साथ संपन्न हुआ. सुबह 5:30 बजे संन्यासियों ने गुरु पूजा की व सुबह आठ बजे काशी के पंडितों द्वारा गुरु पादुका पूजन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2015 3:28 AM
रिखियापीठ में गुरु पादुका पूजन के साथ गुरु पूर्णिमा उत्सव
रिखियापीठ : परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की तपोस्थली रिखियापीठ में दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव शुक्रवार को तीन चरणों में गुरु पादुका पूजन के साथ संपन्न हुआ. सुबह 5:30 बजे संन्यासियों ने गुरु पूजा की व सुबह आठ बजे काशी के पंडितों द्वारा गुरु पादुका पूजन हुआ व अंतिम चरण में रिखिया की कन्याओं गुरु पादुका पूजन किया.
इस अवसर पर रिखिया की कन्याओं ने भरत नाट्यम नृत्य से गुरु की आराधना की. अनुष्ठान में शामिल दर्जनों देश-विदेश के शिष्यों को गुरु दीक्षा दी गयी.इस अवसर पर स्वामी सत्संगीजी ने कहा कि रिखिया में तीन चरणों में अलग-अलग भावना से गुरु की पूजा हुई. इसमें कन्या द्वारा की गयी पूजा का विशेष महत्व है. चूंकि कन्या देवी का रुप है.
गुरु के आशीर्वाद से रिखिया के कण-कण में सकारात्मक ऊर्जा व्याप्त है. गुरु के सानिध्य से जीवन में एक सकारात्मक उर्जा का विकास होता है. यह सकारात्मक उर्जा मनुष्य को सत्य व समृद्धि की ओर ले जाता है.
जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक विचार अनिवार्य है. यह सकारात्मकता गुरु के सानिध्य में प्राप्त हो सकता है. चूंकि गुरु प्रेम, भक्ति व सेवा का मार्ग बताते हैं. यह तीनों मार्ग मनुष्य को सफलता की मंजिल व जीवन का मूल उद्देश्य तक पहुंचाता है.
प्रत्येक व्यक्ति को गुरु का सानिध्य प्राप्त करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिष्यों के शिष्य हमारे गुरु स्वामी सत्यानंदजी थे. स्वामी सत्यानंदजी ने अपना सारा जीवन अपने परम गुरु स्वामी शिवानंदजी के संकल्पों को पूरा करने के लिए समर्पित कर दिया. गुरु व शिष्य की यह परंपरा हमेश ऐसा रहना चाहिए. अपने गुरु के संकल्पों को पूरा करना एक सच्चे शिष्य का लक्ष्य होना चाहिए. रिखिया से पूरे देश में प्रेम व सेवा का यह संकल्प साफ झलक रहा है.
है प्रार्थना गुरुदेव यह धर्ममय संसार हो..
अनुष्ठान में कन्या-बटुकों ने गुरु प्रार्थना…है प्रार्थना गुरुदेव से यह धर्ममय संसार हो..हम पुजारी हो सत्य के..प्रस्तुत किया. इस प्रार्थना को सभी शिष्यों ने दोहराया. इस दौरान ‘जय बोलो श्री गुरुदेव की आनंद में..कीर्तन पर सभी झूम उठे. अनुष्ठान में परमहंस स्वामी सत्यानंदजी को समर्पित ‘सत्यम चालीसा’ का पाठ किया. गुरु पूर्णिमा पर सैकड़ों को ग्रामीण वृद्धों को वस्त्र दिया गया व भोजन कराया गया.

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