लापरवाही. कुपोषण की मार, उजड़ गया परिवार नहीं बचायी जा सकी ढेना मुर्मू की बच्ची भी
पालोजोरी: आखिरकार ढेना मुर्मू का परिवार पूरी तरह उजड़ गया. हमारी व्यवस्था, उसका लंबा-चौड़ा अमला, चिकित्सा महकमा, सरकारी-गैरसरकारी संस्था कोई मुर्मू के परिवार को काल के गाल में समाने से रोक न सका. पत्नी, बेटे के बाद गरीबी के समंदर में आकंठ डूबे मुर्मू की एक साल की बेटी भी सोमवार को कुपोषण की भेंट […]
पालोजोरी: आखिरकार ढेना मुर्मू का परिवार पूरी तरह उजड़ गया. हमारी व्यवस्था, उसका लंबा-चौड़ा अमला, चिकित्सा महकमा, सरकारी-गैरसरकारी संस्था कोई मुर्मू के परिवार को काल के गाल में समाने से रोक न सका. पत्नी, बेटे के बाद गरीबी के समंदर में आकंठ डूबे मुर्मू की एक साल की बेटी भी सोमवार को कुपोषण की भेंट चढ़ गयी. सोमवार सुबह एमटीसी में इलाज के लिए भरती की गयी ढेना मुर्मू की एक साल बेटी की मौत हो गयी.
हालांकि सरकार की मेडिकल रिपोर्ट जब तकसार्वजनिक नहीं होती तब तक कोई नहीं कह सकता कि बच्ची की मौत के लिए किस बीमारी को वजह बतायी जाये. लेकिन, रविवार को जब बच्ची को इलाज के लिए भरती कराया जा रहा था, तो उसके चेहरे पर कुपोषण के जानलेवा निशान साफ दिख रहे थे. वह बुरी तरह कमजोर, कुपोषित और बीमार थी.
मंत्री के निर्देश पर एमटीसी में भरती करायी गयी थी ढेना को
गौरतलब हो कि इससे पूर्व 28 अगस्त को ही ढेना मुर्मू की पत्नी और पांच सितंबर को उसके चार वर्षीय पुत्र की मौत हो गयी थी. कृषि मंत्री रणधीर सिंह के निर्देश पर रविवार को बीडीओ विशाल कुमार ने गादी भेलवाटांड़ पहुंचकर ढेना मुर्मू की पुत्री को पालोजोरी एमटीसी में भरती कराया था. बच्ची के पिता ढेना मुर्मू ने चिकित्सा को लेकर कुछ सवाल उठाये हैं. जिसका जवाब विभाग को देना है. लेकिन यह बात साफ है कि बच्ची को जब तक इलाज के लिए सीएचसी में भरती कराया गया था तब उसकी स्थिति काफी खराब हो चुकी थी. सबसे बड़ा सवाल यह है कि ढेना परिवार की फटेहाली, उसके बच्चे के कुपोषण की ओर पंचायत स्तर पर काम करने वाली सेविका व सहायिका, पंचायत प्रतिनिधियों आदि का ध्यान क्यों नहीं गया?