चना व सरसों की खेती से सुखाड़ के नुकसान की भरपाई करें

देवघर: बारिश के बाद कृषि क्षेत्र में क्या-क्या संभावनाएं हैं. रबी के मौसम में किसान किन-किन फसलों की खेती करेंगे. इन बिंदुओं पर शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में कृषि विज्ञान केंद्र सुजानी के कृषि वैज्ञानिक पीके सन्नग्रही ने जानकारी दी. श्री सन्नग्रही ने कहा कि इस वर्ष मॉनसून देर से आया, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2013 9:00 AM

देवघर: बारिश के बाद कृषि क्षेत्र में क्या-क्या संभावनाएं हैं. रबी के मौसम में किसान किन-किन फसलों की खेती करेंगे. इन बिंदुओं पर शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में कृषि विज्ञान केंद्र सुजानी के कृषि वैज्ञानिक पीके सन्नग्रही ने जानकारी दी. श्री सन्नग्रही ने कहा कि इस वर्ष मॉनसून देर से आया, जिस कारण खेती भी देर से शुरू हुई.

बावजूद संताल परगना में 50 फीसदी से अधिक धान की रोपनी हुई है. लेकिन शुरूआत में वंचित किसान अपनी खाली पड़ी जमीन पर रबी के मौसम में चना व सरसों की खेती कर सूखाड़ की भरपाई कर सकते हैं. पिछले दिनों हुई बारिश से खेतों में नमी काफी है. किसान इसका फायदा उठाते हुए अविलंब खेतों की जुताई कर चना व सरसों का बिचड़ा डाल दें. 30 अक्टूबर तक चना व सरसों का बिचड़ा डालने का उचित समय है.

रबी में सब्जियों की खेती में बरतें सावधानी
श्री सन्नग्रही ने कहा कि फैलिन में हुई बारिश से तालाब व कुआं में पानी पर्याप्त आ गया है. इसका फायदा रबी मौसम में हो गया. लंबे समय तक जमीन में नमी रहने से सब्जियों का उत्पादन बेहतर होगा. किसान खेतों को दो-चार बार जुताई कर पहले गड्ढों में सड़ा हुआ गोबर को मिट्टी में मिलायें, इसके बाद पौधारोपण करें. इस बीच किसानों को पौधा व बीज खरीदारी में सावधानी बरतनी होगी. किसानों सही व उच्चस्त गुणवत्ता वाले पौधों की खरीदारी करनी चाहिए. किसानों को खाद दुकान से बीज व खाद की खरीदारी की रसीद दुकानदार से अवश्य प्राप्त करें. अगर रसीद नहीं देते हैं तो इसकी शिकायत जिला कृषि पदाधिकारी से कर सकते हैं.

एसडब्ल्यूआइ विधि से करें गेहूं की खेती
उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र प्रत्येक जिले में एसडब्ल्यूआइ की विधि से गेहूं की खेती की जानकारी किसानों को देती है. रबी मौसम में किसान तकनीकी प्रक्रिया में एसडब्ल्यूआइ विधि को अपनाकर गेहूं की खेती करें. इस विधि में दस सेंटीमीटर की दूरी व 20 सेंटीमीटर के कतार पर गेहूं के बिचड़ा को डाला जाता है. इससे कोनोविडर से किसान बेहतर ढंग से खर-पतवार की सफाई कर सकते हैं. इसमें बीज का मात्र भी कम लगेगा. एक हेक्टेयर में 10 क्विंटल अधिक गेहूं की उपज होगी. किसान गेहूं की खेती में बिचड़ा डालने के समय यूरिया 50 फीसदी व पोटास पूरी मात्र में खेतों में प्रयोग करें. इसके बाद शेष 25 फीसदी यूरिया पहली सिंचाई व 25 फीसदी यूरिया गेहूं में बाली आने के बाद प्रयोग करें. ताल परगना की मिट्टी के अनुसार किसान रबी के मौसम में बंगला प्याज (छोटा) लगा सकते हैं. नमी में इसकी अच्छी उपज की संभावना है.

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