धर्मशाला के मूल स्वरूप से नहीं हो छेड़छाड़

देवघर: देवघर के ऐतिहासिक धरोहर में से एक बंगाली धर्मशाला है. कोलकाता के एक समृद्ध बंगाली परिवार ने बंगाली सैलानियों के देवघर आगमन को देखते हुए अपनी पूरी संपत्ति देवघर नगर पालिका को सशर्त दिया था. इसलिए निगम प्रशासन को चाहिए कि वह धर्मशाला के मूल स्वरूप व नामकरण से कोई छेड़छाड़ नहीं करें. उक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2013 9:16 AM

देवघर: देवघर के ऐतिहासिक धरोहर में से एक बंगाली धर्मशाला है. कोलकाता के एक समृद्ध बंगाली परिवार ने बंगाली सैलानियों के देवघर आगमन को देखते हुए अपनी पूरी संपत्ति देवघर नगर पालिका को सशर्त दिया था. इसलिए निगम प्रशासन को चाहिए कि वह धर्मशाला के मूल स्वरूप व नामकरण से कोई छेड़छाड़ नहीं करें. उक्त बातें तक्षशिला विद्यापीठ देवघर के मैनेजिंग डायरेक्टर कृष्णा नंद झा ने कही.

वे मंगलवार को अपने कार्यालय कक्ष में संवाददाताओं से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जमीन काफी बड़ी है. जमीन के एक हिस्से पर व्यवसाय कर सकते हैं. दूसरे हिस्से पर सैलानियों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए आवासन की व्यवस्था होनी चाहिए. इसमें दो राय नहीं है कि धर्मशाला जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है.

लेकिन, दाता के सेंटीमेंट का ख्याल रखा जाना चाहिए. जिस उद्देश्य से नगरपालिका को संपत्ति दी गयी, उसका शत-प्रतिशत अनुपालन होना चाहिए. नहीं तो यह वादा खिलाफी होगी. दाता की जमीन को सहेजने की जवाबदेही नगर निगम प्रशासन की है. वरना स्वाभाविक रूप से बंगाली समुदाय के लोगों को धक्का लगेगा. भविष्य में कोई व्यक्ति दान देने से परहेज करेगा. इस मौके पर तक्षशिला विद्यापीठ देवघर के प्रिंसिपल प्रद्युत घोष आदि उपस्थित थे.

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