बिना रिजर्व जसीडीह-देवघर टेंपो यात्रा नहीं

जसीडीह : जसीडीह स्टेशन पर रात आठ बजे के बाद उतरे तो आपको देवघर जाने के लिए या तो काफी पैसे खर्च करने होंगे या घंटों इंतजार करना होगा. क्योंकि अॉटो वालों टेंपो क्राइसिस पैदा करते हैं. जानबूझकर गिने-चुने टेंपो स्टैंड में रखकर क्राइसिस दिखा कर रिजर्व के बिना टेंपो चालक हिलते तक नहीं है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2015 8:24 AM
जसीडीह : जसीडीह स्टेशन पर रात आठ बजे के बाद उतरे तो आपको देवघर जाने के लिए या तो काफी पैसे खर्च करने होंगे या घंटों इंतजार करना होगा. क्योंकि अॉटो वालों टेंपो क्राइसिस पैदा करते हैं. जानबूझकर गिने-चुने टेंपो स्टैंड में रखकर क्राइसिस दिखा कर रिजर्व के बिना टेंपो चालक हिलते तक नहीं है.

रिजर्व भी आप करना चाहेंगे तो अनाप-शनाप भाड़े की मांग करते हैं. इस पर न ही रेलवे, न टेंपो चालक संघ और न ही प्रशासन का कोई अंकुश है. इसका खामियाजा यात्रियों को उठाना पड़ रहा है. बिना रिजर्व किये यात्रियों को लेकर चलते हैं.
रिजर्व में यात्रियों से मनमाने किराये की मांग करते हैं. जो यात्री किराया देने में असमर्थ होते हैं. वैसे लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है या लोकल ट्रेन का सहारा लेते हैं. इस संबंध में कई बार मामला प्रशासन तक पहुंचा, बावजूद अबतक कोई कार्रवाई या नयी व्यवस्था नहीं बन पायी है. यह परेशानी रांची-बैद्यनाथधाम इंटरसिटी, पटना-हटिया पाटलीपुत्र एक्सप्रेस सहित कई रात्रिकालीन ट्रेनों से उतरने वाले यात्रियों के साथ होता है.
कहते हैं टेंपो चालक संघ के अध्यक्ष
जो आरोप टेंपो चालकों पर लगाया जा रहा है, वह निराधार है. स्टैंड टू स्टैंड शेयर में चलता है जबकि अन्यत्र जाने के लिए कई यात्री टेंपो रिजर्व करते हैं.
-देवनंदन झा, अध्यक्ष, टेंपो चालक संघ, जसीडीह
रात में सभी ओटो रिजर्व चलता हैं और यात्रियों से अधिक भाड़ा लिया जाता है. अॉटो की संख्या भी कम हो जाती है. इससे लगता है कि अॉटो क्राइसिस हो गया है. मजबूरन लोग रिजर्व कर जाने को विवश होते हैं.
-प्रमोद कुमार झा

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