देवघर: झारखंड राजपथ परिवहन विभाग मृत हो चुकी था. बावजूद इसके विभाग की ओर से एक तुगलकी फरमान जारी कर देवघर व दुमका जिला मुख्यालय स्थित राजपथ परिवहन विभाग के प्रतिष्ठान में लाखों की लागत से शानदार प्रवेश द्वारा का निर्माण करा दिया गया. जिसका औचित्य समझ से परे है. जबकि इस पैसे से कई बसें खरीदी जा सकती थी. दर्जनों बसों का जीर्णोद्धार हो सकता था. भुखमरी के कगार पर खड़े हो चुके कई कर्मचारियों को दो वक्त की रोटी दी सकती थी.
बावजूद इसके देवघर व दुमका प्रतिष्ठान में बना 44 लाख रूपये का मुख्य द्वार गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके कर्मचारियों व उनके परिवार को मुंह चिढ़ा रहा है.
तीन प्रतिष्ठान से चलती थी 80 बसें
विभागीय सूत्रों से जानकारी के अनुसार एकीकृत बिहार राज्य के समय संताल परगना प्रमंडल के तीन जिलों देवघर, दुमका व गोड्डा से तकरीबन 80 बसों का परिचालन होता था. इसमें सिर्फ दुमका प्रतिष्ठान से 40 बसें, देवघर से 23 बसें व गोड्डा से 17 बसों का परिचालन होता था. मगर सरकार के उदासीन रवैये के कारण धीरे-धीरे बसों का परिचालन ठप होता चला गया. वर्तमान में दुमका व गोड्डा से एक भी बस नहीं चलती है. जजर्र अवस्था होने के कारण सभी नीलामी के लिए सरकारी आदेश के इंतजार में खड़ी हैं. वहीं देवघर प्रतिष्ठान से तीन से चार बसों का परिचालन किसी तरह से खींचखाच कर चल रहा है. बस किराया कम होने के बावजूद इसे बंद कराया जा रहा है. इससे यात्रियों को सिर्फ नुकसान ही नुकसान होना है.
15 दिनों के अंदर करना है योगदान
31 अक्तूबर को सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया है जिसके तहत सभी को तत्काल अलग-अलग विभाग में योगदान कर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है. उसके बाद प्रमाण पत्रों की जांच होगी. जांच के बाद उस तिथि से एप्वाइंटमेंट दिया जायेगा. 2004 से इपीएफ मामले में विचार होगा. नया इपीएफ नहीं दिया जायेगा. यदि कोई लंबे समय तकरीबन 35-40 वर्षो से नौकरी किया हो तो वह बेकार चला गया. राष्ट्रपति शासनकाल के समय(मई-जून) के आदेश को अभी लागू किया जा रहा है. जबकि अभी नया आदेश जारी करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरुरी है. मगर इस आदेश को जारी करने के समय नियम को दरकिनार कर दिया गया. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वकील से संपर्क साधा गया है. आदेश के खिलाफ कोर्टऑफ कंटेम्ट की तैयारी चल रही है.
सुमनजी, प्रतिष्ठान प्रभारी, देवघर डिपो.
क्या कहते हैं सचिव
प्रवेश द्वार बनाये जाने के संबंध में मुङो जानकारी नहीं है. चूंकि कुछ दिनों पहले ही प्रभार लिया है. इस संबंध में पड़ताल करेंगे. रही बात कर्मचारियों के समायोजन की. तो जिन्हें नौकरी करनी है उन्हें योगदान करना ही पड़ेगा. फिलहाल कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखता.
– मस्त राम मीणा, सचिव, परिवहन विभाग.