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राम कथा में जीवन का मंत्र : सुधीर महाराजकथा अमृत वर्षा ज्ञान के अंतिम दिन सुंदरकांड पर हुई चर्चातसवीर है राजीव के फोल्डर में री-नेम प्रतिनिधि, जसीडीह जसीडीह-देवघर मुख्य मार्ग स्थित बीएड कॉलेज परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा अमृत वर्षा ज्ञान के अंतिम दिन सोमवार को सुधीर जी महाराज ने सुंदरकांड की चर्चा […]
राम कथा में जीवन का मंत्र : सुधीर महाराजकथा अमृत वर्षा ज्ञान के अंतिम दिन सुंदरकांड पर हुई चर्चातसवीर है राजीव के फोल्डर में री-नेम प्रतिनिधि, जसीडीह जसीडीह-देवघर मुख्य मार्ग स्थित बीएड कॉलेज परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा अमृत वर्षा ज्ञान के अंतिम दिन सोमवार को सुधीर जी महाराज ने सुंदरकांड की चर्चा की. उन्होंने श्रीराम का राज्याभिषेक, राज तिलक प्रसंग सुनाते कहा कि रामकथा जीवन जीने की कला का गुढ़ मंत्र है. श्री महाराज ने कहा कि अयोध्या ऐसी धर्म की नगरी, जहां भगवान निवास करते थे. वहां कैकेयी-मंथरा की कुसंग पाकर अनर्थ कर बैठी और लंका में लंकिनी हनुमान जी का सत्संग पाकर धन्य हो गई. जब भगवान का चौदह वर्ष वनवास का पूरा होने में दो दिन बचा तो अयोध्या के छत पर कौवें कांव-कांव करने लगे. कौशल्या माता को महसूस हुआ कि मेरे लाल को आने में दो दिन बचा है. कौशल्या कौवें से बोली तेरे बोलने से अगर मेरे लाल का दर्शन हो गया तो तेरे चोंच में मोतियों की नथ मढ़वा दूंगी. इस प्रसंग की चर्चाकर महाराज जी ने कहा कि कौशल्या ऐसी राजमाता कौवें ऐसे अधम प्राणी से भगवान दर्शन के लिए हाथ जोड़ सकती तो हम कहीं भी किसी से भी भगवान के दर्शन के लिए निवेदन कर सकते हैं.