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लोगों के स्वास्थ्य से बेहूदा मजाक बाजार पहुंची निर्माण की अग्रिम तिथि वाली दवा, शहर में हड़कंप फोटो दिनकर के फोल्डर में दवा और डा आर के चौरसिया के नाम सेचार महीने एडवांस में बनी दवा पहुंची मार्केट संपादक जी के ध्यानार्थ -अचंभित हो रहे हैं रोगी के परिजन-दवा नकली है या एडवांस, बना चर्चा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2015 10:25 PM

लोगों के स्वास्थ्य से बेहूदा मजाक बाजार पहुंची निर्माण की अग्रिम तिथि वाली दवा, शहर में हड़कंप फोटो दिनकर के फोल्डर में दवा और डा आर के चौरसिया के नाम सेचार महीने एडवांस में बनी दवा पहुंची मार्केट संपादक जी के ध्यानार्थ -अचंभित हो रहे हैं रोगी के परिजन-दवा नकली है या एडवांस, बना चर्चा का विषय -कंपनियों की मार्केटिंग होड़ है या फिर बदनाम करने की साजिशसंवाददाता, देवघरदेवघर में लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. कई कंपनियों की एडवांस डेट की दवा शहर के दुकानों में पहुंच चुकी है. यह बात शहर में चर्चा का विषय बन गयी है. कई लोग वाट्सऐप के जरिये भी एक-दूसरे को सतर्क कर रहे हैं. हालांकि यह दवा कंपनियों की मार्केटिंग की होड़ है या फिर कंपनियों को बदनाम करने की साजिश, यह जांच का विषय है. लोग दहशत में हैं. डर का आलम यह है कि अब असली दवा खाने में भी लोग हिचकिचा रहे हैं. उन्हें हर दवा पूर्व का बना होने की आशंका सताती है. फ्लेम नामक दवा में मेनुफेक्चरिंग तिथि चार अप्रैल 2016 लिखा हुआ है. इसकी एक्सपायरी तिथि तीन मार्च 2018 लिखा हुआ है. इसके मेनुफेक्चरिंग तिथि के आधार पर असली मान भी लें तो एक्सपायर की तिथि समय से पहले आ जायेगी. ऐसी दवा कई तरह से हानि पहुंचा सकती है. बीमारी पर असरदार नहीं रहने के अलावा ऐसी दवाओं के सेवन से शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है. रिएक्शन या जानलेवा साइड अफेक्ट भी हो सकता है. क्या है प्रक्रियादवा बनने के बाद ड्रग्स अथोरिटी के पास भेजी जाती है. वहां मानक की जांच की जाती है. उसमें सही पाने के बाद ही क्लीयरेंस दिया जाता है. तब बाजार में बिक्री के लिए भेजी जाती है. क्या कहते हैं डाक्टर इस संबंध में चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा आर के चौरसिया ने बताया कि एडवांस डेट की बात पहली बार सुन रहे हैं. ऐसा नहीं होता है. यह प्रिटिंग मिस्टेक हो सकती है या फिर दवा कंपनी को बदनाम करने की साजिश का मामला हो सकता है. दवाएं ड्रग्स अथोरिटी से जांच में पास होने के बाद बाजार भेजी जाती है. क्या कहते है सिविल सर्जनसरसरी तौर पर यह लेबलिंग में मिसप्रिंटिंग का मामला लगता है. क्योंकि कोई भी दवा बिना केमिकल व क्वालिटी टेस्ट के नहीं निकलती. बावजूद इसके भारी संख्या में यदि दवा खपायी जा रही है. सप्लाइयर व मैनुफैक्चरर को नोटिस जारी कर पूछताछ की जायेगी. जवाब संतोषजनक न होने पर कार्रवाई की जायेगी. – डॉ एसएन तिवारी, प्रभारी सीएस, देवघर

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