कई रूपों में दर्शन देते हैं भगवान : मुकेश मोहन

देवघर: श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के छठे दिन पंडित मुकेश मोहन शास्त्री ने महारास लीला कृष्ण का मथुरा आगमन एवं उद्वव चरित्र तथा रुक्मिणी विवाह पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि कृष्ण की रासलीला अपरंपार है. भगवान को लोग अनेकों रूप में देखना चाहते हैं और भगवान भी अपने भक्तों को विभिन्न रूपों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2013 8:18 AM

देवघर: श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के छठे दिन पंडित मुकेश मोहन शास्त्री ने महारास लीला कृष्ण का मथुरा आगमन एवं उद्वव चरित्र तथा रुक्मिणी विवाह पर चर्चा की.

उन्होंने कहा कि कृष्ण की रासलीला अपरंपार है. भगवान को लोग अनेकों रूप में देखना चाहते हैं और भगवान भी अपने भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन देते हैं. पंडित मुकेश ने भगवान के कंश वध पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि परमात्मा ने संसार को अपनी आभा दी है. भगवान कृष्ण के पास 64 कला थी. वृंदावन प्रेम स्थान है वहां पर प्रेम की पूजा होती है. माता-पिता का आशीर्वाद बच्चों के लिए भगवान का आशीर्वाद होता है.

रुक्मिणी विवाह पर कहा कि विदर्भ देश में राजा के पांच रुक्मिणी पुत्र थे. एक पुत्री थी जिसका नाम था रुक्मिणी. जिसका विवाह द्वारिकाधीश के साथ हुआ. और इस अवसर उन्होंने द्वारिका नगरी की विस्तार से चर्चा की किस प्रकार से द्वारिकाधीश के पास संदेश लेकर जाते हैं. भागवत कथा को सफल बनाने में गुरुजी औंकारमल जी शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही. इस अवसर पर काशी प्रसाद बंका, संजय कुमार बंका, संदीप कुमार बंका, सुनील अग्रवाल, अजरुन बंका, सज्जन बंका, राजेश केडिया, विकास बंका, संतोष खेतान, मनीष बंका के अलावा झाझा, कोलकाता, पटना, जमुई, नौगछिया, भागलपुर एवं देवघर के लोगों ने भारी संख्या में भाग लिया.

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