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बिना आवेदन ही आ गया भारत सरकार का नियुक्ति-पत्र!

जालसाज अपना रहे ठगी का अद्भुत तरीका अजय यादव देवघर : न आवेदन, न एग्जाम, न ही कोई इंटरव्यू और मिल गया साढ़े बत्तीस हजार रुपये की नौकरी का नियुक्ति पत्र. एक महीने के अंदर दो-दो बार. नौकरी भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि भारत सरकार के खुफिया विभाग की! यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि जालसाजों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2015 7:08 AM
जालसाज अपना रहे ठगी का अद्भुत तरीका
अजय यादव
देवघर : न आवेदन, न एग्जाम, न ही कोई इंटरव्यू और मिल गया साढ़े बत्तीस हजार रुपये की नौकरी का नियुक्ति पत्र. एक महीने के अंदर दो-दो बार. नौकरी भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि भारत सरकार के खुफिया विभाग की! यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि जालसाजों का कारनामा है.
इस कारण देवघर के सुंदरलाल मिश्रा रोड के एक 22 वर्षीय बेरोजगार नवयुवक मनोज वर्मा (परिवर्तित नाम) बीते एक पखवाड़े से हतप्रभ है.
बीते 1 दिसंबर को मनोज को यह नियुक्ति-पत्र मिला तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. लेकिन, जल्द ही उसकी खुशी हवा हो गयी. ठगों ने मनोज से नियुक्ति से पहले बतौर सेक्यूरिटी मनी 20 हजार रुपये बैंक में जमा करने को कहा. नियुक्ति पत्र पर दिये गये मोबाइल नंबर (728945774) पर जब मनोज ने संपर्क किया तो उसे बैंक शाखा जाने की नसीहत दी गयी. बैंक पहुंचने पर ही अकाउंट नंबर बताने की शर्त रखी गयी. मनोज ने ऐसा ही किया.
उसके मोबाइल पर अकाउंट नंबर एसएमएस किया गया. मगर दो-तीन घंटे तक पैसे न पहुंचने पर जालासाजों ने उसे धमकाना शुरू कर दिया . मनोज ने रुपये कम होने की मजबूरी बतायी तो कहा गया कि फिलहाल जितने रुपये की व्यवस्था हुई हो उसे अविलंब खाते में जमा कराओ. ऐसा नहीं करने पर गाली-गलौज और प्रशासनिक कार्रवाई की धमकी दी गयी. साथ ही यह जानकारी किसी अन्य से साझा नहीं करने की चेतावनी भी दी गयी. भयाक्रांत मनोज इसकी शिकायत लेकर नगर थाना पहुंचा, लेकिन थाने में मौजूद एक अधिकारी ने मामले को हाइ प्रोफाइल बताते हुए उसे उच्च अधिकारियों से मिलने की सलाह देकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
ठगी का यह अनोखा प्रकरण कई कारणों से बेहद संगीन प्रतीत होता है. ठगों ने फरजी नियुक्ति पत्र के साथ हलफनामे, विवरणी, नौकरी की शर्तो आदि के जो कागजात भेजे हैं, उन्हें देखकर लगता है कि यह गिरोह व्यापक पैमाने पर सक्रिय है और संगठित होकर मासूम नवयुवकों को अपने झांसे में ले रहा है. चिट्ठी के इनवेलप पर लगी पोस्ट ऑफिस कार्यालय की मुहर देखने से पता चलता है कि मनोज को पहला पत्र मेरठ से भेजा गया, जबकि दूसरा धनबाद से.
आकर्षक पन्ने वाले लेटर पैड की शक्ल में भेजे गये कागजातों में भारत सरकार के प्रतीक चिह्नों का जमकर दुरुपयोग किया गया है. ठग ने युवक को विश्वास में लेने के लिए खुद को गृह मंत्रालय का उच्च अधिकारी बताया है. कहा है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नशे, देह व्यापार, आतंकवाद, मानव तस्करी जैसे संगीन अपराधों को रोकने के लिए खुफिया एजेंसी- ‘इंडिया वेलफेयर एसोसिएशन’ का गठन किया है. इसी के तहत योग्य, कर्मठ व ईमानदार युवकों की गुप्त सिपाही के पद पर बहाली हो रही है.
शिकार को झांसे में लेने के लिए उसे सरकार की ओर विभिन्न प्रकार की सुविधाएं देने की बात भी कही गयी है. ठगों ने जिस खूबसूरती से भारत सरकार के प्रतीक चिह्नों, मुहर, लेटर पैड, इनवेलप बना रखा है, उसे देखकर अच्छे खासे पढ़े-लिखे लोग भी झांसे में आ सकते हैं. हालांकि गौर से देखने पर इन कागजातों में ही फरजीबाड़े के सबूत मौजूद हैं. एक चिट्ठी में जहां हस्ताक्षर है, तो दूसरी चिट्ठी में कोई हस्ताक्षर नहीं है. इसमें ई-मेल के जो पते बताये गये हैं, वह भारत सरकार के नहीं हैं. सील और मुहर में भी भिन्नताएं दिखती हैं.

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