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परिजनाें को सीबीआइ से भी टूटी न्याय की आसमामला : जसीडीह डबल मर्डर मिस्ट्रीजसीडीह अंतर्गत पुलिस लाइन के तलाब से मिली थी दो सहेलियों की लाशमामले को लेकर महीने भर तक देवघर में हुआ था आंदोलनसंसद में भी गूंजी थी मर्डर मिस्ट्री, जिला पुलिस समेत सीआइडी भी कर चुकी है अनुसंधानसंवाददाता, देवघरडबल मर्डर मिस्ट्री में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2015 10:46 PM

परिजनाें को सीबीआइ से भी टूटी न्याय की आसमामला : जसीडीह डबल मर्डर मिस्ट्रीजसीडीह अंतर्गत पुलिस लाइन के तलाब से मिली थी दो सहेलियों की लाशमामले को लेकर महीने भर तक देवघर में हुआ था आंदोलनसंसद में भी गूंजी थी मर्डर मिस्ट्री, जिला पुलिस समेत सीआइडी भी कर चुकी है अनुसंधानसंवाददाता, देवघरडबल मर्डर मिस्ट्री में अब दोनों परिवार को सीबीआइ से भी न्याय की आस टूट चुकी है. परिजनों का कहना है कि अब संशय लग रहा है कि मामले में सीबीआइ न्याय दिला सकेगी. इस कांड का प्रभार लिए सीबीआइ को भी करीब दो वर्ष बीत चुके हैं. अब तक सीबीआइ हत्यारों का सुराग तक नहीं खोज सकी है. सीबीआइ का अनुसंधान भी जिला पुलिस व सीआइडी की तर्ज पर ही चल रहा है. महीनों बीत गये कांड को लेकर सीबीआइ के आइओ ने परिजनों को कोई जानकारी तक नहीं दी है. कांड के अनुसंधान में क्या प्रगति है, इस संबंध में उनलोगों को कोई जानकारी नहीं है. परिजनों का यह भी कहना है कि कांड के आइओ सीबीआइ इंस्पेक्टर को वे लोग फोन लगाते भी हैं तो रिस्पांस नहीं मिलता है. ऐसे में दोनों परिजनों को एकमात्र हाइकोर्ट पर ही भरोसा है. अगर हाइकोर्ट ही उनलोगों को न्याय दिलाये तो कुछ हो सकता है. 18 मई को सीबीआइ टीम ने 14 संदिग्धों का सैंपल भेजा था डीएनए जांच मेंसदर अस्पताल में 18 मई 2015 को सीबीआइ द्वारा पुलिसकर्मियों सहित पुलिस लाइन के आसपास रहनेवाले पुलिस परिजनों के 14 संदिग्धों का डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए ब्लड सैंपल कलैक्ट कराया गया था. सीबीआइ क्राइम ब्रांच पटना के एसपी कार्यालय के पत्रांक 1036 व सिविल सर्जन के पत्रांक 1930 के आलोक में प्राप्त निर्देश के तहत सदर अस्पताल के डीएस द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर प्रभात रंजन, डॉक्टर दिवाकर पासवान और डॉक्टर मनीष लाल ने इन संदिग्धों का ब्लड सैंपल अस्पताल की पैथोलॉजी में लिया था. इनका लिया गया था ब्लड सैंपलसीबीआइ टीम ने संदिग्ध योगेश कुमार सिंह, मिथुन कुमार महतो, मास्टर कुंदन कुमार, अभिषेक गौतम उर्फ गौतम कुमार राय, पर्सन बास्की, पवन कुमार, सोनू कुमार सिंह, सुधीर कुमार, भूषण चंद्र महतो, प्रेम रंजन, आनंद किस्कू उर्फ सोनू किस्कू, कंचन कुमार राय, राणा जायसवाल व किशोर कुमार सिंह को सदर अस्पताल की मेडिकल टीम द्वारा ब्लड सैंपल कलैक्ट कराया था. क्या था मामला डाबरग्राम पुलिस लाइन के पीछे तालाब से समीप की रहने वाली दो सहेलियों की लाश मई 2013 में बरामद हुई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों की रेप व हत्या की पुष्टि हुई थी. मामले को लेकर कई दिनों तक आंदोलन हुआ था. संसद तक आवाज पहुंची थी. मामले में उस वक्त राज्यपाल के दो सलाहकार समेत पूरे राज्य की पुलिस महकमे के कई वरीय अधिकारी पहुंचे थे. दो एडीजीपी सहित सीआइडी व पुलिस के कई वरीय अधिकारियों ने देवघर में कैंप किया था. बाद में केस सीआइडी को ट्रांसफर हुआ. वहीं एक साल से सीबीआइ जांच कर रही है. बावजूद अब तक नतीजा कुछ नहीं निकला है. गायब एक्जीविट का भी नहीं मिला सुरागऔर तो और दोनों मृतका के कपड़ों को भी सीबीआइ नहीं खोज सकी. आखिर दोनों मृतका के कपड़े पोस्टमार्टम के बाद गायब कहां हो गया, इसका पता पुलिस व सीआइडी तो नहीं लगा सकी थी. किंतु सीबीआइ भी इसका पता नहीं कर सकी. कानून के जानकाराें का कहना है कि मृतका के कपड़े एक्जीविट के तौर पर रखना था. कांड में एसपी, एसडीपीओ व मेजर का हुआ था तबादलाडबल मर्डर मिस्ट्री में लापरवाही बरतने के आरोप में ही उस वक्त के एसपी समेत एसडीपीओ व मेजर का तबादला हुआ था. वहीं एक इंस्पेक्टर समेत एएसआइ व कई पुलिसकर्मी भी इस कांड में निलंबित किये गये थे.

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