बोट खराब, बच्चों के लिए कुछ भी नहीं

देवघर: झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में बाबा मंदिर के साथ-साथ दर्जन भर से अधिक ऐतिहासिक धरोहर व मनोरम पर्यटन स्थल भी हैं. यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु व पर्यटक पहुंचते हैं. इसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या भी काफी होती है. इस वजह से देवघर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. बावजूद इसके विकास के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2013 10:30 AM

देवघर: झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में बाबा मंदिर के साथ-साथ दर्जन भर से अधिक ऐतिहासिक धरोहर व मनोरम पर्यटन स्थल भी हैं. यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु व पर्यटक पहुंचते हैं. इसमें विदेशी पर्यटकों की संख्या भी काफी होती है. इस वजह से देवघर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. बावजूद इसके विकास के अभाव में पर्यटन स्थल उपेक्षित पड़े हैं. विडंबना यह है कि झारखंड के पर्यटन मंत्री सुरेश पासवान भी इसी क्षेत्र से हैं.

नहीं हो रहा विकास
शहर व आसपास के क्षेत्र में स्थित त्रिकुट पर्वत, तपोवन, चरकी पहाड़ी, बुढ़ई पर्वत, बकुलिया झरना, नंदन पहाड़, हाथी पहाड़, दक्षिण श्मशान, भैरव घाट आदि में विकास की अपार संभावनाएं हैं. पर्यटन स्थलों को विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है. इससे राज्य सरकार को राजस्व का भी फायदा होगा.

बंद होने के कगार पर जलसार पार्क
शहर के बीचोबीच स्थित जलसार पार्क बंद होने के कगार पर है. वहां एक-एक कर बोट खराब होते चले गये. दुर्घटना की संभावनाएं देख व्यवस्थापक ने सभी बोट हटा लिये. पर्यटन विभाग व देवघर नगर निगम की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. पार्क के व्यवस्थापक हरिशंकर चौबे पिछले दो साल से गुहार लगाते-लगाते थक गये, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं. निगम के आश्वासन पर अपनी जेब से पैसे लगा कर भी विकास होने का सपना देखते रहे. अंत में पार्क से हटने का निर्णय लेना पड़ा.

नंदन पहाड़ में टूटे पड़े हैं झूले
नंदन पहाड़ में बच्चों के खेलने के झूले सहित अन्य उपकरण लगाये गये थे. ये सभी जीर्ण अवस्था में पड़े हैं. इसकी मरम्मत की फिक्र किसी को नहीं है. बच्चे भी इन झूलों में झूलने से कतराते हैं. नंदन पहाड़ तालाब का सौंदर्यीकरण तो दूर, उसकी घेराबंदी भी अब तक नहीं की गयी है.

मानसरोवर भी उपेक्षित
बाबा मंदिर के निकट स्थित मानसरोवर तालाब भी उपेक्षित है. पूरे तालाब में घास उग आये हैं. यहां का पानी भी काफी गंदा हो गया है. लोगों की मानें, तो इसमें नहाने से खुजली जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है. इसकी शिकायत भी लोगों ने पर्यटन विकास के निदेशक से की. उन्होंने भी डीसी पर मामला फेंक कर अपना पल्ला झाड़ दिया.

सिर्फ मिला आश्वासन
रांची से तीन सदस्यीय टीम जलसार पार्क का निरीक्षण करने आयी. वह पार्क का निरीक्षण कर रिपोर्ट लेकर चली गयी. वहां से फंड भेजने का एक बार फिर आश्वासन मिला. लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ.

बढ़ सकते हैं रोजगार के अवसर
शहर व इसके आसपास स्थित ऐतिहासिक धरोहर व मनोरम पर्यटन स्थल को विकसित करने से लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं. इससे जिले के राजस्व में भी वृद्धि होगी. स्थानीय लोग गाइड का पेशा अपना कर आमदनी का जरिया बना सकते हैं.

मंत्री को नहीं है चिंता
स्थानीय विधायक सुरेश पासवान के पर्यटन मंत्री बनने पर लोगों में काफी उम्मीद जगी थी. लेकिन छह माह बीतने के बाद भी पर्यटन क्षेत्रों को विकसित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाये गये. मामूली सुविधा देकर मंत्री अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं.

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