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गुहार: अधिग्रहण के नाम पर गुरुकुल का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश

देवघर: वर्षों पुराने गुरुकुल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम की जमीन को एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहण करने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. इससे एक बार फिर गुरुकल की परंपरा व एेतिहासिक धरोहर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुल की जमीन का अधिग्रहण करने का विरोध प्रबंधन द्वारा लगातार किये जाने के […]

देवघर: वर्षों पुराने गुरुकुल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम की जमीन को एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहण करने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. इससे एक बार फिर गुरुकल की परंपरा व एेतिहासिक धरोहर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.

आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुल की जमीन का अधिग्रहण करने का विरोध प्रबंधन द्वारा लगातार किये जाने के बावजूद एक साजिश के तहत भू-अर्जन विभाग से 1932 के खतियान को आधार बनाकर दूसरे के नाम से नोटिस किया जा रहा है, ताकि मुआवजे की राशि वारा-न्यारा की जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाये. जबकि 1932 के बाद दुमका के बंदोबस्त पदाधिकारी ने सेटेलमेंट नंबर 388 में लगभग 66 एकड़ जमीन आर्य प्रतिनिधि सभा बिहार-बंगाल गुरुकुल महाविद्यालय सिंहपुर के नाम से दर्ज किया है.

सर्वे में नाम दर्ज होने के बाद कई वर्षों तक गुरुकुल महाविद्यालय का लगान रसीद भी कटता रहा है. गुरुकल महाविद्यालय बैद्यनाथधाम के महामंत्री भारत भूषण त्रिपाठी ने डीसी को पत्र सौंपकर अधिग्रहण की प्रक्रिया को रोकने की मांग की है. श्री त्रिपाठी ने कहा है कि गुरुकुल की भूमि को दूसरे के नाम से दर्शाना पूरी तरह गलत है. सौ वर्ष पुरानी प्रतिष्ठित, ऐतिहासिक, धार्मिक व सांस्कृतिक संस्था की जमीन को इसके पुराने अस्तित्व से बगैर छेड़छाड़ किये बरकरार रखने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कागजातों के आधार पर भी गुरुकुल का हक इस जमीन पर है. इस ऐतिहासिक स्थल पर देश के कई महापुरुषों व स्वतंत्रता सेनानियों का कदम पड़ चुका है.

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